बड़ी खबर! इन किसानों के खाते में नहीं आएगा पीएम फसल बीमा योजना का लाभ, फटाफट देखें लिस्ट
किसानों को लाभ मिल रहा है क्योंकि केंद्र सरकार ने उनके लिए कई फायदेमंद योजनाएं चलाई हैं। इन योजनाओं में पीएम फसल बीमा भी शामिल है, जो किसानों को प्राकृतिक आपदाओं से फसल को हुआ नुकसान भरपाता है। प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना में खरीफ और रबी की फसलों के अलावा बागवानी और वाणिज्यिक फसलों का बीमा भी किया जाता है। मानसून शुरू होते ही खरीफ फसलों की बुवाई शुरू हो जाएगी। किसान इसके साथ अपनी खरीफ फसलों का बीमा भी कराएंगे। विभिन्न राज्यों में, विभिन्न बीमा कंपनियां PM फसल बीमा योजना के तहत फसलों का बीमा करती हैं।
यदि हरियाणा की बात की जाए तो यहां अंबाला, करनाल, सोनीपत, हिसार, जींद, महेंद्रगढ़ और गुरुग्राम जैसे जिले क्लस्टर दो वाले हैं। इन जिलों में तीसरे फसल सीजन के दौरान किसानों को प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना का कवरेज नहीं मिल रहा है। इसलिए कोई बीमा कंपनी क्लस्टर 2 में योजना को लागू नहीं करेगी। ऐसे में इस खरीफ सीजन में इन जिलों के किसानों को पीएम फसल बीमा योजना का लाभ नहीं मिलेगा। यहां के किसान पिछले वर्ष खराब हुई कपास की फसल के लिए मुआवजे की मांग कर रहे हैं।
मीडिया रिपोर्टों के अनुसार, क्लस्टर 2 के किसानों को पीएम फसल बीमा योजना के तहत बीमा नहीं किया गया था, इसलिए वे खरीफ-2023 और रबी-2024 सीजन के दौरान अपने आप पर निर्भर रहे थे। इन जिलों में बीमा कंपनी ने योजना को लागू करने से इनकार कर दिया है।
हरियाणा के किन जिलों में पीएम फसल बीमा योजना लागू है?
PM फसल बीमा योजना 15 जिलों में हरियाणा के कलस्टर एक और तीन में लागू है। पंचकूला, कुरुक्षेत्र, सिरसा, फरीदाबाद, कैथल, भिवानी और रेवाड़ी क्लस्टर एक में हैं। जबकि तीन क्लस्टरों में जमुनानगर, पानीपत, पलवल, रोहतक, फतेहाबाद, झज्जर, मेवात और चरखी दादरी शामिल हैं।
फसल बीमा कवर का क्या मतलब है? हिसार में लगभग दो लाख किसान कपास, धान, बाजरा और ग्वार की खेती करते हैं। 3.18 लाख एकड़ में कपास की खेती फिलहाल किसानों ने की है। बाजरा, धान, ग्वार और अन्य फसलें मानसून के आते ही बोई जाएंगी। स्थानीय किसानों का कहना है कि राज्य और केंद्र सरकार ने 2016 में पीएम फसल बीमा योजना (PM Fasal Bima Yojana) शुरू करने का दावा किया था, लेकिन अभी तक उन्हें उचित बीमा कवर नहीं मिल सका है।
आदमपुर के किरतान गांव में रहने वाले किसान अनिल शर्मा ने बताया कि इस साल उन्होंने आठ एकड़ क्षेत्र में कपास की बुवाई की है, लेकिन इस साल भी उन्होंने बीमा कवर नहीं पाया है। उन्हें बताया गया कि बीमा कंपनी ने पिछले वर्ष भी खरीफ की फसल को कवर नहीं दिया था। किसानों का प्रीमियम कंपनी ने वापस लिया था। बता दें कि पिछले साल गुलाबी सुंडी के प्रकोप से कपास की फसल को नुकसान हुआ था। किसानों का कहना है कि सरकार को इन जिलों में भी पीएम फसल बीमा लागू करना चाहिए ताकि योजना का लाभ भी इन जिलों के किसानों को मिल सके।
पीएम फसल बीमा योजना को इन 7 जिलों में लागू करने पर क्या कहता है प्रबंधन
हिसार के कृषि विभाग के उपनिदेशक राजबीर सिंह ने बताया कि कोई बीमा कंपनी क्लस्टर दो में योजना को लागू करने के लिए नहीं आ रही है। ऐसे में यहां के किसानों को पीएम फसल बीमा योजना का लाभ नहीं मिल रहा है।
PM फसल बीमा योजना के तहत किन फसलों को बीमा किया जाता है
किसान पीएम फसल बीमा योजना के तहत खरीफ सीजन की प्रमुख फसलों (दालें, बाजरा, अनाज) का बीमा करा सकते हैं। इसके अलावा, वाणिज्यिक फसलों और बागवानी फसलों का बीमा कराया जा सकता है। किसानों को खरीफ सीजन की फसलों के लिए 2 प्रतिशत की दर से बीमा प्रीमियम देना होता है, जबकि बागवानी या वाणिज्यिक फसलों के लिए 5 प्रतिशत की दर से प्रीमियम देना होता है।
हरियाणा में खरीफ फसलों के लिए बीमा राशि हरियाणा में खरीफ की प्रत्येक फसल के लिए अलग-अलग बीमा राशि निर्धारित की गई है, जो किसान के क्लेम के अनुसार निर्धारित की गई है। फसल के अनुसार बीमा राशि निम्नलिखित है:
धान के लिए बीमा राशि- 96,371 रुपए प्रति हैक्टेयर
बाजरा के लिए बीमा राशि- 46,456 रुपए प्रति हैक्टेयर
मक्का के लिए बीमा राशि- 49,421 रुपए प्रति हैक्टेयर
कपास के लिए बीमा राशि- 98,595 रुपए प्रति हैक्टेयर
मूंग के लिए बीमा राशि- 43,243 रुपए प्रति हैक्टयर