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Haryana News: सरसों की फसल में दिखा सफेद रतुआ रोग, किसानों की बढ़ी चिंता 

सिरसा-चरखी दादरी में सबसे ज्यादा रोग का असर 
 
safed ratua rog

Haryana News: किसानों की चिंता अपनी फसल को लेके लगी रहती है। इस बार सरसों की फसल में सफ़ेद रतुआ रोग लग गया है जिस वजह से किसानों की चिंता बहुत बढ़ गई है। हरियाणा के 7 जिलों में ये रोग सबसे ज्यादा दिखने को मिला है। 

सबसे ज्यादा सिरसा और चरखी दादरी में इस रोग का असर:
ये रोग सबसे ज्यादा सिरसा और चरखी दादरी में देखने को मिला, जहाँ पर 40 से 50 फीसदी सरसों की फसल को नुक्सान पहुंचने की सम्भावना है। इसके अलावा नारनौल, हिसार, भिवानी, पलवल और फतेहाबाद में भी सरसों की फसल इस इस सफ़ेद रतुआ रोग से ग्रस्त है। जबकि करनाल, जींद, झज्झर, सोनीपत, यमुनानगर, अम्बाला और कुरुक्षेत्र में कहीं-कहीं इस रोग का असर देखने को मिला है।

बतादें कि, हरियाणा राज्य में 7 लाख 52 हजार हेक्टेयर में सरसों की फसल की बिजाई है। ये पिछले साल के मुकाबले 20 हजार हेक्टेयर ज्यादा है। 

सफ़ेद रतुआ रोग से उत्पादन पर होता है असर:
कृषि वैज्ञानिकों के मुताबिक, सरसों की फसल में लगने वाला सफ़ेद रतुआ सबसे छोटा रोग होता है। इसकी पहचान करना बहुत ही आसान होता है। लेकिन किसान इसपर ज्यादा ध्यान नहीं देते हैं। जब सरसों की फसल पूरी तरह से तैयार हो जाती हैऔर फल देने वाली हो जाती है, तो रतुआ की बीमारी फली गरेडिया के रूप में उभर के आती है। जिस वजह से इसका उत्पादन पर बहुत ही ज्यादा असर पड़ता है। अभी तक कृषि विभाग की तरफ से इसे रोकने के लिए कोई भी इंतजाम नहीं हुआ है। 

इस दवाई का करें इस्तेमाल:
कृषि विशेषज्ञ डॉ. महावीर सिंह मलिक ने बताया कि, सरसों की पछेती फसल में सफ़ेद रतुआ रोग दिखाई देने लग गया है। इसके लिए किसानों को डईथेम एम 45 (मेंकोजेब) दवाई का इस्तेमाल करना चाहिए। 600 से 800 ग्राम दवाई को 200 से 250 लीटर पानी में मिलाकर दस-दस दिनों के अंतराल में छिड़कना चाहिए। इसके छिड़काव से सफ़ेद रतुआ रोग ख़त्म हो जाएगा।