मक्के की बिजाई कैसे, किस टाइम करें जानिए इनकी उन्नत किस्मों के बारे में
corn improved varieties: मक्का दुनिया में सबसे अधिक उगाएं जाने वाले अनाजों मैं से एक है मक्का को मकई के रूप से भी जाना जाता है मक्का हमारे लिए भोजन के रूप में और पशुओं के लिए चारे के रूप में काम आता है मक्का की बिजाई उत्तर प्रदेश, हरियाणा, मध्य प्रदेश ,बिहार राज्यों में ज्यादा की जाती है यह फसल 3 महीने में पककर तैयार हो जाती है और इसका उत्पादन अन्य फसलों के अलावा ज्यादा होता है यही कारण है. कि किसान भाई इस फसल को ज्यादा बोना पसंद करते हैं. मक्का पैकेज उत्पाद बनाने में भी काम आता है जैसे पॉपकॉर्न चॉकलेट और पशुओं में यह है हरे चारे के काम आता है.
मक्के की बुवाई का सही समय
मक्के की बुवाई खरीफ सीजन में 15 जून से 15 जुलाई तक की जा सकती है पहाड़ी और कम तापमान वाले क्षेत्रों में मक्के की बुवाई मई के अंत और जून से पहले सप्ताह में इनकी बुवाई की जा सकती है मक्के की बुवाई तीन पॉइंट पांच सेंटीमीटर नीचे गहराई में करने चाहिए जिससे बीज अच्छी तरह से मिट्टी में ढक जाए अच्छे से अंकुरित हो जाए आप एक एकड़ में 20 किलोग्राम बीज डाल सकते हैं
मक्का की टॉप किस्में
गंगा -5 किस्म
गंगा किस्म हमारे भारत में सबसे ज्यादा उगाई जाने वाली है इनके दाने पीले रंग के होते हैं यह किस्म 90 से 100 दिन में पककर तैयार हो जाती है और 50 से 60 क्विंटल प्रति एकड़ के हिसाब से उपज देती हैं
शक्ति -1 किस्म
यह किस्म जल्दी पक कर तैयार हो जाती है इसे पूरे भारत में बोया जा सकता है उनके दाने नारंगी रंग के होते हैं यह किस्म 80 से 90 दिन में पककर तैयार हो जाती है और 50 क्विंटल प्रति एकड़ के हिसाब से उपज देती है
पार्वती किस्म
इस किस्म के पौधे की ऊंचाई मध्यम आकार की होती है तथा इस पर दो भुटटे लगते हैं भुटटे पौधे के बीच में थोड़ा ऊपर की ओर लगते हैं उनके दाने नारंगी और पीले रंग के कठोर दाने होते हैं यह क़िस्म 110 से 120 दिन में पक्कर तैयार हो जाती है तथा 14 क्विंटल प्रति एकड़ के हिसाब से उपज देती है
प्रकाश JH3189
मक्के की यह किस्म शंकर किस्म में आती है यह किस्म 80 से 90 दिन में पक्कर तैयार हो जाती है और 30 से 35 क्विंटल प्रति एकड़ के हिसाब से उपज देती है इस किस्म को सिंचित व असिंचित दोनों क्षेत्रों में बोया जा सकता है
एक्स 1174 डब्ल्यू वी
मक्के की यह किस्म पूरे सिंचित भारत में बोई जाती है यह 80 से 90 दिन में पककर तैयार हो जाती है और 30 से 35 क्विंटल प्रति एकड़ के हिसाब से उपज देती है उनके दाने पीले नारंगी रंग के होते हैं