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मूंगफली की बुवाई करते समय रखें इन बातों का ध्यान नहीं तो हो सकता है बहुत बड़ा नुकसान


Keep these things in mind while sowing groundnut, otherwise huge loss can occur
 
मूंगफली की बुवाई

मई और जून महीने के अंदर  मूंगफली की बजाई का समय शुरू होने वाला है

मूंगफली की  बजाई करते समय खास कर रखे इन बातों का ध्यान

आपको बतादे की मूंगफली की  बजाई करने से पहले भारतीय कृषि विशेषज्ञो ने जो मूंगफली की उन्नत  किस्मे तेयार की हे जो  रोग नियंत्रण और खरपतवार नियंत्रण आदि वैरायटी की किसमे तेयार  की हैं 


आपको बता दें कि मूंगफली की बिजाई करने से पहले कहां से लें बीज और उन्नत किस्म का चुनाव करें


मूंगफली भारत की तिलहन फसल में से एक है यह ज्यादातर राजस्थान हरियाणा गुजरात कर्नाटक के राज्य में उगाया जाता है जैसे पंजाब और अन्य राज्यों में भी यह बहुत  ज्यादा मात्रा में बोई जाने वाली फसल मानी जाती है। 
मूंगफली की खेती राजस्थान मैं लगभग 3.47 लाख हेक्टेयर में की जाती है और इसका उत्पादन लगभग 6.81लाख टन तक होता है 
भारतीय कृषि विश्वविध्यालय ने उन्नत  
किस्म का नियंत्रण कर इसका संशोधन किया है । 


मुंगफली की विजाई सही समय और मौसम को देखकर ही करें

मूंगफली की बिजाई का सही समय जून के पहले सप्ताह से लेकर जुलाई के पहले सप्ताह तक की जाती ताकि मूंगफली का अच्छा उत्पादन हो सके


मध्यम आकार की मिट्टी के अंदर इन किस्मो की बिजाई करें ताकि अच्छा उत्पादन हो सके
जैसे की मध्यम आकार की किस्म झुमका इसका बीज लगभग 1 एकड़ के अंदर100 किलोग्राम और फैलाव करने वाली किस्म का बीज एक एकड़ के अंदर 80 किलोग्राम पर्याप्त है

झुमका किस्म की बजाई करते समय लाइन से लाइन की दूरी 30 सेमी रखना उचित माना गया है

और फैलाव करने वाली किस्म की लाइन से लाइन की दूरी
45 सेमी उचित माना गया है और पौधे से पौधे की दूरी 10 सेमी रखना चाहिए  
और मेड बनाकर मूंगफली की बजाई करने से बीज की उपज और गुणवत्ता बढ़ जाती है।

मूंगफली की बिजाई करने से पहले बीज उपचार अवश्य कर ले ताकि मूंगफली की जड़ के अंदर लगने वाले रोगों से मुंगफली की फसल को बचाया जा सके

बीज का उपचार हमेसा ठंडी जगह मे रखकर करना चाहिए ताकी  उपचार सही तरीके से हो

 कारविंडोजाईम से उपचार करने से मूंगफली की फसल को फंगस रोग तथा पीला रतवा रोग से बचाया जा सकता है इसके साथ-साथ दीमक तथा अन्य कीटो से भी बचाया जा सकता है
कारविंडोजाइम का उपचार करने से मूंगफली की फसल को सफेद लट से बचाया जा सकता है।

ईमीडाक्लोराइड का उपचार करने से उखेड़ा रोग से मूंगफली की फसल को बचाया जा सकता है 600ML दवाई से प्रति 1 किलोग्राम बीज का उपचार कर बजाई कर सकते है

मूंगफली की खेती में पानी और खाद सही समय पर ही डालें ताकि अच्छा उत्पादन हो सके

मूंगफली की फसल में पानी और खाद जमीन के हिसाब से देना चाहिए ताकि जडगलन जैसे रोगों से फसल बर्बाद न हो 
मूंगफली की फसल दलहन होने के कारण नाईट्रोजन की आवश्यकता बहुत कम होती हैं 
और फिर भी बड़वार कम होती हो  तो पहले पानी के साथ 20 से 25 किलोग्राम यूरिया प्रति एकड़ के हिसाब से आवश्यक दे ताकि फसल अच्छी तरह फैलाव करें और बढवार शुरू हो जाए

अगर जमीन के अंदर फास्फोरस की मात्रा कम दिखाई दे तो कुछ मात्रा में फास्फोरस अवश्य दें 
उर्वरक की पूरी मात्रा खेत को तैयार  करते समय ही मिट्टी में अच्छी तरह मिला दे ओर खेत को तैयार करते समय कंपोस्ट या गोबर की खाद पर्याप्त मात्रा में हो को 20 से 25 दिन पहले10 से 15 टन प्रति हेक्टर के हिसाब से डाल दें ओर अधिक उत्पादन लेने के लिए 250 किलोग्राम जिप्सम प्रति हेक्टर के हिसाव से अंतिम जुताई के समय जमीन में अच्छी तरह से मिला दें अगर इसी प्रकार बीज तथा अन्य उर्वरकों का ध्यान मैं रखकर मूंगफली की खेती करते हैं तो अच्छा खासा मुनाफा कमा सकते हैं