गवार की उन्नत किस्में जानिए बिजाई का सही समय
Know the right time for sowing improved varieties of Gawar
ग्वार की खेती भारत के हरियाणा राजस्थान पंजाब और गुजरात में की जाती है और गंवार की खेती करना आसान और कम सिंचाई में पैदावार को लिया जा सकता है। ग्वार की खेती के लिए किसी भी मिट्टी में आसानी से बिजाई की जा सकती है अन्य फसलों के मुकाबले उगने की क्षमता ग्वार में ज्यादा होती है ग्वार का उत्पादन भारत में विश्व में सबसे ज्यादा होता है ग्वार की खेती करने से फसल का उत्पादन के साथ-साथ इनकी फलियों का उपयोग सब्जियों के रूप किया जाता है और इसके साथ-साथ गवार की खेती करने से जमीन में अच्छी खाद भी लगती है आइए जानते हैं आज ग्वार की यूनिवर्सिटी द्वारा तैयार नई किस्में कौन सी है।
HG 2-20= यूनिवर्सिटी द्वारा तैयार इस ग्वार की किस्म को सिंचित और असिंचित दोनो क्षेत्र में खेती की जा सकती हैं यह किस्म जल्द पकने के साथ-साथ शाखाओं में फैलने वाली किस्म है।
HG -653= यूनिवर्सिटी द्वारा तैयार इस किस्म को सभी क्षेत्र में बुवाई की जा सकती है और यह किस्म भी जल्द पकने के साथ-साथ शाखाओं में फैलाव लेने वाली किस्म है यह किस्म 10, 12 क्विंटल के हिसाब से होती है।
HG -365= यूनिवर्सिटी द्वारा तैयार ग्वार की यह किस्म जल्दी पकने के साथ साथ शाखा में फैलाव लेने वाली किस्म है इस किस्म से हरियाणा और राजस्थान की मिट्टी के लिए उपयुक्त मानी गई है
बिजाई का सही समय और बीज की सही मात्रा।
डॉ विकास यादव ने ग्वार की बिजाई के लिए जून माह का दूसरा सप्ताह सबसे उचित बताया ग्वार विशेषज्ञ ने किसानों को सचेत किया कि खड़ी फसल में किसी भी खरपतवारनाशक दवाई का प्रयोग न करें इससे ग्वार फसल के पत्ते कुछ समय के लिए पीले पड़ जाते हैं और अगली फसल सरसों के जमाव व पैदावार पर असर पड़ता है
उन्होंने कहा है कि ग्वार की बिजाई बीज उपचार करने के बाद ही करनी चाहिए डॉ यादव ने बीज उपचार के महत्व पर प्रकाश डाला उन्होंने बताया कि बिजाई से एक दिन पहले 6 लीटर पानी में 6 ग्राम स्ट्रेपटोसय्कि्लन घोलें एचजी 2-20 को इस घोल में 10 मिनट तक बीज को भिगो कर निकाल लें और बीज को छाया में सूखा दें व इस बीज को सारी रात सूखने दें इस पूरी तरह सुखी हुए बीज को बिजाई से पहले 2 ग्राम कार्बेन्डाजिम को प्रति किलो बीज की दर से सूखा उपचारित करने की बाद ही बिजाई करे।
ग्वार की बिजाई के लिए 8 ,10 किलोग्राम बीज प्रति एकड़ के हिसाब से बोया जाता है ग्वार की बिजाई ज्यादा गहरी नहीं होनी चाहिए ज्यादा गहरी होने पर इसमें हवा कम लगती है जिसके कारण पैदावार क्षमता भी कम होती है हवा नहीं लगने के कारण ग्वार के पौधों पर फल फूल कम आते हैं।