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Melon  Farming : सिर्फ 3 महीने में इस खेती से किसान कमा सकता है इतने लाख का मुनाफा, बस करना होगा ये काम

आज हम आपको एक ऐसी खेती के बारे में बताने जा रहे है जिससे आप हर महीने लाखों रूपए कमा सकते है। हम बात कर रहे है खपबूजे की खेती की। गर्मियों के मौसम में बाजारों में इसकी मांग अधिक रहती है।
 
सिर्फ 3 महीने में इस खेती से किसान कमा सकता है इतने लाख का मुनाफा

Melon  Farming :  खरबूजे को देख खरबूजा रंग बदलता है…।यह कहावत आपने जरूर सुनी होगी। रायबरेली में खरबूजे ने एक किसान की जिंदगी का ही रंग बदल दिया। वह खरबूजे की खेती से ही मालामाल हो रहा है।

दरअसल, रायबरेली जनपद के बछरावां थाना क्षेत्र अंतर्गत जलालपुर गांव के रहने वाले प्रगतिशील किसान दिलीप वर्मा बीते लगभग 2 वर्षों से खरबूजे की खेती कर रहे हैं। जिससे वह कम लागत में अधिक मुनाफा कमा रहे हैं।

प्रगतिशील किसान दिलीप वर्मा के मुताबिक वह लगभग 5 एकड़ जमीन पर खरबूजे की खेती कर रहे हैं। क्योंकि यह एक नगदी फसल होने के साथ ही गर्मियों के मौसम में बाजारों में इसकी मांग अधिक रहती है।

जिससे आसानी से इसकी बिक्री भी हो जाती है। वह खरबूजे की चार प्रजातियां बाबी, मृदुल, निर्मल- 24, मधुरा की खेती करते हैं। यह प्रजातियां उन्नत किस्म की प्रजातियां मानी जाती हैं। जिनकी पैदावार भी खूब होती है।

रिश्तेदार से मिला आइडिया

वह बताते हैं कि लखनऊ जनपद कुर्मिन खेड़ा गांव के रहने वाले उनके एक रिश्तेदार सत्येंद्र वर्मा ने उन्हें इस खेती के बारे में सलाह दी। क्योंकि वह पहले से ही खरबूजे की खेती करते थे। उन्हीं की सलाह पर हमने यह खेती शुरू की।

जिससे मानो हमारी जिंदगी ही बदल गई। क्योंकि इसमें अन्य फसलों की तुलना में लागत भी कम आती है। साथ ही इसकी सिंचाई भी कम करनी पड़ती है। यह फसल  90 दिन के अंदर तैयार हो जाती है।

कम लागत में अधिक मुनाफा

परंपरागत खेती यानी धान गेहूं की फसलों की अपेक्षा इस खेती में लागत भी काम आती है। साथ ही कम समय में यह फसल तैयार हो जाती है। इसमें एक एकड़ में लगभग 50 से 60 हजार रुपए की लागत आती है।

तो वहीं लागत के सापेक्ष 4 से 5 लाख रुपए तक 3 महीने में आसानी से कमाई भी हो जाती है। जो अन्य फसलों की तुलना में काफी अधिक है।

आगे की जानकारी देते हुए उन्होंने बताया कि खेतों में तैयार फसल की बिक्री के लिए भी उन्हें कहीं आना-जाना नहीं पड़ता है। थोक के भाव व्यापारी इसे खेत से ही खरीद ले जाते हैं। जिससे उनके आवागमन का भी खर्च बच जाता है।