एक बार फिर हार गया किसान मौसम के बदलते तेवर के कारण झुलस रही नरमा कपास की फसल
ज्यादा गर्मी होने के कारण पानी की बहुत ज्यादा जरूरत बढ़ गई है एक तरफ गांव के अंदर पानी पीने के लिए और दूसरी तरफ पशु पक्षियों के लिए जोहड़ भी सूखते नजर आ रहे हैं
इस खबर के माध्यम से हम आपको बताते हैं कि ऐसे में न तो जानवरों को पीने का पानी मिल रहा है और न ही किसानों को ताकी फसल की सिचाई करने के लिए पानी मिल सके गर्मी से नरमा और कपास की फसल जलने लगी है। लू से नरमा के पत्ते पीले पड़ रहे है। किसान जगदीश भादु,आदराम सहु , कुलदीप पुनिया , कृष्ण खालिया ,संजय पुनिया ,रामकुमार नाई,ने बताया कि भीषण गर्मी से बच्चे बुढे ही नहीं बल्कि फसलें भी प्रभावित हो रही है लू से नरमा की फसल जल रही है। बीते दिनों आई धूलभरी आंधी से मिट्टी पत्तों के ऊपर आने से पत्ते जलने लगे हैं। जिससे किसानों को दोबारा बिजाई करनी पड़ रही है।
आपको बता दें कि किसानो ने बताया इससे पहले बारिश की वजह से नरमा की फसल करुंड होकर नष्ट हो गई थी, ओर फिर किसानों ने दोबारा बिजाई की थी। किसानों का कहना है कि गर्मी ज्यादा बढ़ने से नरमा-कपास के साथ सब्जियों व हरा चारा तथा अन्य फसलें भी झुलस रही है। पहले महंगे भाव का डीजल से ट्यूबवेल चलाकर खेतों मे पानी और जुताई कर तो ली है, परंतु पानी के अभाव में नरमा-कपास की ऊगी हुई फसल गर्मी में झुलसने लगी है। हालांकि किसान निजी संसाधनों से फसलों की प्यास बुझाने का प्रयास कर रहे हैं, लेकिन इससे फसलों की लागत बढ़ती जा रही है। जब फसल तैयार होगी तो उनके पास कुछ नहीं बचेगा। इसी बात को लेकर किसानों को चिता बढ़ी हुई है। किसानों ने बताया कि अधिकांश किसानों के पास फसल में सिचाई के लिए नहर के पानी के अलावा कोई दूसरी पानी की व्यवस्था उपलब्ध नहीं है। अगर जल्द ही नहर में पूरा पानी न आया तो किसान कि पुरी फसल बर्बाद हो जाएगी और किसान की करी गई मेहनत पर पानी फीर जाएगा
इस बार कृषि विभाग ने 95 हजार हेक्टेयर नरमा, कपास बिजाई का लक्ष्य रखा गया है। मई के पहले सप्ताह में नरमा की बिजाई की गई थी। जब पौधा अंकुरित होने लगा तो बरसात शुरू हो गई। जिससे नरमा उत्पादक किसानों की फसल करंड हो गई और उन्हें दोबारा बिजाई करनी पड़ी। पिछले तीन दिनों से पड़ रही भयंकर लू से अब किसानों की कपास की फसल भी झुलसने लगी है। नरमा का छोटा पौधा नष्ट हो गया है जबकि जिस पौधे की लंबाई 2 से 3 इंच है वह पीला पड़कर झुलस गया है। गर्मी का प्रकोप इस तरह बढ़ता गया तो किसानों को नरमे की फिर से बिजाई करनी पड़ेगी।