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किसान भाइयों को मालामाल कर देगी यह खेती, होगी छप्परफाड़ पैदावार, देखें खेती का तरीका 

नमस्कार दोस्तों, आज की हमारी खबर में आपका स्वागत है। जैसा कि आप सभी जानते हैं कि भारतीय किसान सोयाबीन की खेती (Cultivate Soybean) ज्यादा करते हैं। इसी को देखते हुए आज हम आपके लिए सोयाबीन की कुछ उन्नत किस्मों की जानकारी लेकर आए हैं। दोस्तों, अगर आप भी सोयाबीन की खेती करते हैं, तो यह लेख आपके लिए काफी महत्वपूर्ण साबित होने वाला है।
 
Soybean Ki Kheti

Soybean Ki Kheti: नमस्कार दोस्तों, आज की हमारी खबर में आपका स्वागत है। जैसा कि आप सभी जानते हैं कि भारतीय किसान सोयाबीन की खेती (Cultivate Soybean) ज्यादा करते हैं। इसी को देखते हुए आज हम आपके लिए सोयाबीन की कुछ उन्नत किस्मों की जानकारी लेकर आए हैं। दोस्तों, अगर आप भी सोयाबीन की खेती करते हैं, तो यह लेख आपके लिए काफी महत्वपूर्ण साबित होने वाला है।

सोयाबीन की उन्नत किस्में

सोयाबीन की खेती में उन्नत किस्मों का चयन बहुत महत्वपूर्ण है। ये किस्में उच्च उत्पादन देती हैं और रोग प्रतिरोधक भी होती हैं।

JS 95-60: यह किस्म 95-100 दिनों में पक जाती है और प्रति हेक्टेयर 25-30 क्विंटल उत्पादन देती है।

JS 97-52: इस किस्म की विशेषता है कि यह सूखा सहनशील है और प्रति हेक्टेयर 20-25 क्विंटल उत्पादन देती है।

NRC 37: यह किस्म जल्दी पकने वाली होती है और इसमें तेल की मात्रा अधिक होती है।

सोयाबीन की खेती का आसान तरीका

सोयाबीन की खेती के लिए गर्म और भरपूर मौसम सबसे अच्छा माना जाता है। इसकी बुवाई मुख्य रूप से जून से जुलाई के महीने में की जाती है। इसके लिए मानसून की शुरुआत सबसे अच्छा समय है क्योंकि हल्की बारिश अंकुरण के लिए सबसे अच्छी होती है।

बीज की मात्रा और बुवाई

सोयाबीन की खेती में बीज मिट्टी की उर्वरता और किस्म पर निर्भर करता है। एक हेक्टेयर में मुख्य रूप से 70 से 80 किलो बीज की जरूरत होती है। बुवाई करते समय ध्यान रखें कि पौधों के बीच की दूरी 5 से 7 सेमी होनी चाहिए।

मिट्टी और खाद

सोयाबीन की खेती के लिए अच्छे जल निकास वाली दोमट मिट्टी सबसे उपयुक्त होती है। मिट्टी का पीएच स्तर 6.0 से 7.5 के बीच होना चाहिए। बुवाई से पहले खेत में 10-12 टन गोबर की खाद या कम्पोस्ट डालें। इसके अलावा 20:60:40 NPK प्रति हेक्टेयर की दर से उर्वरक का उपयोग करें।

सिंचाई और देखभाल

सोयाबीन की फसल को विशेष देखभाल की आवश्यकता नहीं होती है, लेकिन फसल के अच्छे उत्पादन के लिए नियमित सिंचाई और खरपतवार नियंत्रण महत्वपूर्ण है। फसल को 3-4 बार पानी देना आवश्यक है, विशेषकर बुवाई के 20-25 दिन बाद और फूल आने के समय।