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 कम लागत में ज्यादा मुनाफा ऐसे करें धान की खेती रखें इन विशेष बातों का ध्यान।

 कम लागत में ज्यादा मुनाफा ऐसे करें धान की खेती रखें इन विशेष बातों का ध्यान।
 

  धान भारत की मुख्य फसलों में से एक है कई राज्यों में धान की खेती साल में दो बार होती है धान की खेती मुख्य तौर पर मानसून की खेती होती है धान भारत के कई देशों की मुख्य खाद्य फसल है दुनिया में सबसे ज्यादा मक्के के बाद धान की फसल बोई जाती है खरीब सीजन के मुख्य फैसले पूरे भारत में लगाई जाती है अगर हमें कुछ बातों का ध्यान रखें धान की खेती की जाए तो कम लागत में ज्यादा मुनाफा हो सकता है।


 धान की खेती की शुरुआत किसान नर्सरी से करता है इसलिए बीजों का अच्छा होना आवश्यक है कई बार किस महंगा बीज  तो ले लेता है लेकिन सही उपज नहीं ले पाता इसलिए बिजाई से पहले बीज वह खेत का उपचार कर लेना जरूरी है बीज महंगा होना जरूरी नहीं बल्कि विश्वासनीय  और आपके क्षेत्र की जलवायु और मिट्टी के अनुसार होना चाहिए।  देश के अलग-अलग राज्य में अलग-अलग मौसम होता है जहां मौसम के हिसाब से किस्में विकसित की जाती है इसलिए किसानों को अपने क्षेत्र के हिसाब से ही बीजों का चयन करना चाहिए।
 भारतीय चावल अनुसंधान संस्थान हैदराबाद के कृषि वैज्ञानिक डॉक्टर रघुवीर राव का कहना है कि मई की शुरुआत से किसानों को तैयारी शुरू कर देनी चाहिए ताकि मानसून का समय आते ही धान की बिजाई कर दे
किसानों को बीज शोध अवश्य करना चाहिए जिसे फसल को कई रोगों से बचाया जा सकता है एक हेक्टर की रोपाई के लिए बीज शोध  प्रक्रिया में 25,30 रुपए खर्च होते हैं।
 बीजों को ऐसे करें अंकुरित।
उपचारित बीज को गिले बोरे में लपेटकर ठंडी जगह पर रख दे समय समय पर बोरी पर पानी छिटकते रहे लगभग 48 घंटे बाद बोरी को खोले बीज अंकुरित होकर नर्सरी में डालने के लिए तैयार है।
 हरी खाद वह गोबर की खाद का उपयोग।
किसान हरि खाद्य तैयार करने के लिए धान की बिजाई से 1 महीने पहले सनई का बीज 25 किलोग्राम प्रति हेक्टर के हिसाब से बिजाई करें लगभग 1 महीने बाद खड़ी फसल को खेत में मिला दे और तीन-चार दिन के लिए छोड़ दे ऐसा करने से खाद अच्छी तरह गल कर तैयार हो जाती है।

धान की फसल में किसान गोबर की खाद का भी प्रयोग कर सकता है 5 10 टन हेक्टेयर तक अच्छी सड़ी गोबर खाद का प्रयोग करने से आप महंगे उर्वरकों के उपयोग से बच सकते हैं आपकी फसल में बचत के साथ-साथ पैदावार भी अधिक होगी।
 कम पानी में धान की बिजाई करना‌।


अगर किसान के पास कम पानी है तो श्री विधि से धान की रोपाई करें इस विधि से रोपाई करने पर खेत में पानी खड़ा नहीं रखना पड़ता जिस प्रकार किसान गेहूं के खेत में सिंचाई करता है उसी प्रकार धान की सिंचाई होती है बाकी की विधि सामान्य धान की तरह ही करें इस प्रकार से कम लागत में अधिक उपज किसान ले सकता है।