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किसान साथी ध्यान दें अगर इस तकनीक से गवार की खेती करें तो 20 से 25 क्विंटल तक ले सकते हैं उत्पादन

किसान साथी ध्यान दें अगर इस तकनीक से गवार की खेती करें तो 20 से 25 क्विंटल तक ले सकते हैं उत्पादन

 

आपको बता दे की हरियाणा और राजस्थान के अंदर कई स्थान ऐसे भी हे जहां पानी के पीने तक की नौबत आ जाती है ऐसे में नरमा और कपास की खेती करना बहुत ही मुश्किल हो जाता है.


ऐसे में किसान ग्वार और बाजरा की बिजाई कर अपना पालन पोषण करता हैं और ज्यादा ज्ञान न होने के कारण गवार और बाजार के अंदर अपना थोड़ा बहुत पेट गुजारा करता है ऐसे में अगर किसान साथी बीजाई के समय अच्छा क्वालिटी के बीज का चुनाव करें तो अपने पालन पोषण के साथ-साथ अच्छा खासा उत्पादन भी ले सकता है 

गवार की बिजाई करते समय रखें इन बातों का ध्यान


ग्वार की बजाई करते समय बीज  उचित मात्रा मे डालना चाहिए। 1 एकड के अंदर लगभग 2.5 से 3 kg बीज की मात्रा रखते हैं तो फैलाव के साथ साथ बड़वार भी अच्छी होगी और उत्पादन भी अच्छा देखने को मिलेगा  वैसे ग्वार की बीजाई ड्रिल मशीन द्वारा या रेवाडी टापा मशीन से की जाती है।

ग्वार की बिजाई करते समय लाइन से लाइन की दूरी 30 सेमी और पौधे से पौधे की दूरी 10 सेंटीमीटर होनी चाहिए।
ताकि अच्छा उत्पादन हो सके कम वर्षा और कम उपजाऊ वाली जमीन में बीज की मात्रा ज्यादा रखनी चाहिए।

अगर मई महीने के लास्ट या जून महीने के पहले हफ्ते के अंदर बजाई करना चाहते हैं तो इन वैरायटीयों की विजाई कर सकते हैं। और अच्छा खासा उत्पादन ले सकते हैं

1 - कोहिनूर 51
 ग्वार की इस किस्म की बीजाई करने के 48-58 दिनों के अंदर सब्जी वाली  फलीयो की तुड़ाई शुरू हो जाती है ओर  ये किस्म 90 से 100 दिनों में पूरी तरह से तैयार हो जाती है.और एक एकड़ के अंदर 10 से 12 कविटल तक ओसत आंकी गई हे इस किस्म की खेती किसान तीनों सीजनो के अंदर भी कर सकता है यानी रबी, खरीफ और जायद में भी बजाई कर सकता है।

2 आर जी सी-1031
यह किस्म हलकी  वह दोमट मिट्ठी के लिए बहुत ही लाभदायक है 1 एकड़ के अंदर औसत अनुमान लगभग 8 से 10 कविटल तक मानी गइ हे लंबे समय तक सूका सहन करने और रोग रोधी किस्म हे सूखा प्रभावित क्षेत्रों के लिए बिल्कुल उपयुक्त मानी जाती है। 


3 एच जी-2-20.
यह पानी वाली किस्म है यह हलकी और दोमट मिट्ठी में उगाई जाने वाली किस्म हैं और यह रोगों के प्रति सहनशील है इस किस्म के अंदर टाइम टू टाइम वारिस या पानी का बाहाव किया जाए तो 1 एकड के अंदर 12 से 15 कविटल तक उत्पादन देने वाली किस्म हैं।