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लीची के बागों में किसान बकरी पालन करके बढ़ा सकता है अपनी आमदनी जाने फुल प्रोसेस

लीची के बागों में किसान बकरी पालन करके बढ़ा सकता है अपनी आमदनी जाने फुल प्रोसेस
 

 बिहार की शाही लीची देश और विदेश में प्रसिद्ध है बिहार की शाही लीची को जीआई  टैग मिल चुका है बिहार के वैशाली, समस्तीपुर, पूर्वी चंपारण ,मुजफ्फरपुर, बेगूसराय कई जिलों में शाही लीची के बाग है राष्ट्रीय लीची अनुसंधान केंद्र के निदेशक डॉ विकास कुमार का कहना है कि किसान लीची के बागों में बकरी का पालन करके अपनी आमदनी को 10 गुना ज्यादा बढ़ा सकते हैं। राष्ट्रीय अनुसंधान केंद्र द्वारा किसानों को प्रोत्साहित किया जा रहा है और उन्हें ट्रेनिंग भी दी जा रही है।
 बकरी पालन से लीची में होता है क्या फायदा।

कभी-कभी मौसम की बेरूखी के कारण लीची का उत्पाद बहुत कम होता है जिसे किसानों को लाभ की बजाय नुकसान उठाना पड़ता है ऐसे में अगर अपने बजट के हिसाब से लीची के बागों में बकरी का पालन करते हैं उन्हें दोगुना लाभ प्राप्त हो सकता है .लीची के बाग में बकरियों का पालन करने से पेड़ों को भी लाभ मिलता है अगर किसान चाहे तो बड़े पैमाने पर बकरी का पालन कर सकता है.

क्योंकि लीची के बाग में बकरियों को चार आसानी से प्राप्त हो जाता है बकरियां लीची के पत्तों को बहुत ही च
चाव से खाती है बकरी का एक बच्चा 1000 से 15 सो रुपए के बीच में आ जाता है और वह 1 साल का होने के बाद 12 से₹15000 हजार के बीच में बिकता  है यानी लागत के मुकाबले में 1 साल में फायदा 10 गुणा ज्यादा  फायदा होता है।


लीची अनुसंधान केंद्र किसानों को लीची के बागों के साथ-साथ मुर्गी और बकरी पालने की सलाह  इसलिए दे रहा है. क्योंकि इनका मानना है कि लीची के बागों में छोटे-छोटे पौधे और कीड़े मकोड़े बहुत नुकसान करते हैं जिनके लिए किसानों को कीटनाशक का छिड़काव भी करना पड़ता है .

अगर किसान लीची के बागों में बकरी व मुर्गी का पालन करता है छोटे-छोटे कीड़े मकोड़े के नुकसान से बच सकता है और उन्हें किसी कीटनाशक का छिड़काव भी नहीं करना पड़ता बगीचे में तरह-तरह के छोटे पौधे  निकलते रहते हैं जो पलने वाले बकरी का चारा बन जाते हैं जिससे बागों में खरपतवार भी नहीं होता।