सरसों का भाव: सरसों के दामों में 600 से 700 रुपए प्रति क्विंटल तक आई तेजी, जानिए हरियाणा राजस्थान में आज किस रेट बिक रही है ये फसलें
Mnadi Bhav: सरसों की मांग बढ़ने से सरसों के दाम अचानक बढ़ गए हैं। सरसों की कीमत 600 रुपये बढ़कर 700 रुपये प्रति क्विंटल से 5800 रुपये प्रति क्विंटल हो गई है।
May 27, 2024, 12:57 IST
Mandi Bhav Today: सरसों की मांग बढ़ने से सरसों के दाम अचानक बढ़ गए हैं। सरसों की कीमत 600 रुपये बढ़कर 700 रुपये प्रति क्विंटल से 5800 रुपये प्रति क्विंटल हो गई है। कुछ दिन पहले तक मंडी में सरसों 5100 रुपये प्रति क्विंटल बिक रही थी। दाम बढ़ने के बाद भी मंडी में सरसों की आवक घटकर 400 से 500 गांठ रह गई है। सब्जियों के दाम बढ़ने से किसान खुश हैं। किसान फसल की कटाई के समय अपनी उपज बेचते हैं। इसके अलावा कई किसानों ने समर्थन मूल्य पर सरसों की फसल बेची थी। इस बार सरसों का समर्थन मूल्य 5650 रुपये प्रति क्विंटल है।
5100 से 5200 रुपये प्रति क्विंटल थी
लगभग एक सप्ताह पहले तक कृषि उपज बाजार में 42 प्रतिशत तेल की स्थिति वाले सरसों की कीमत 5100 से 5200 रुपये प्रति क्विंटल थी। शनिवार को सरसों की कीमत 5650 रुपये के समर्थन मूल्य को पार कर 5800 रुपये प्रति क्विंटल तक पहुंच गई। ऐसे में उन्हें बाजार में एमएसपी से ज्यादा कीमत मिल सकती है। प्याज के दाम बढ़ने से व्यापारी खुश हैं।
आढ़तियों का मानना है कि मंडी में 5800 रुपये की कीमत मिलने के कारण किसान समर्थन मूल्य के बजाय मंडी में सीधे आढ़तियों को फसल बेच रहा है। उसे नकद में भी भुगतान किया जाता है।
सरसों की खरीद कृषि बाजार में सरकारी खरीद-बिक्री समिति द्वारा समर्थन मूल्य पर की जा रही है। एक सप्ताह से खरीद केंद्र पर आगमन में भारी कमी आई है। पिछले तीन दिनों से खरीद केंद्र पर सरसों नहीं थी। एमएसपी से अधिक कीमत होने के कारण किसान सरकारी खरीद केंद्रों तक नहीं पहुंच पा रहे हैं। केंद्र के प्रभारी अशोक कुमार ने बताया कि तीन दिन पहले ही सरसों की 92 गांठों की कटाई की गई थी। किसानों ने खरीद केंद्रों पर आना बंद कर दिया है।
मांग पूरी नहीं हुई
5100 से 5200 रुपये प्रति क्विंटल थी
लगभग एक सप्ताह पहले तक कृषि उपज बाजार में 42 प्रतिशत तेल की स्थिति वाले सरसों की कीमत 5100 से 5200 रुपये प्रति क्विंटल थी। शनिवार को सरसों की कीमत 5650 रुपये के समर्थन मूल्य को पार कर 5800 रुपये प्रति क्विंटल तक पहुंच गई। ऐसे में उन्हें बाजार में एमएसपी से ज्यादा कीमत मिल सकती है। प्याज के दाम बढ़ने से व्यापारी खुश हैं।
आढ़तियों का मानना है कि मंडी में 5800 रुपये की कीमत मिलने के कारण किसान समर्थन मूल्य के बजाय मंडी में सीधे आढ़तियों को फसल बेच रहा है। उसे नकद में भी भुगतान किया जाता है।
सरसों की खरीद कृषि बाजार में सरकारी खरीद-बिक्री समिति द्वारा समर्थन मूल्य पर की जा रही है। एक सप्ताह से खरीद केंद्र पर आगमन में भारी कमी आई है। पिछले तीन दिनों से खरीद केंद्र पर सरसों नहीं थी। एमएसपी से अधिक कीमत होने के कारण किसान सरकारी खरीद केंद्रों तक नहीं पहुंच पा रहे हैं। केंद्र के प्रभारी अशोक कुमार ने बताया कि तीन दिन पहले ही सरसों की 92 गांठों की कटाई की गई थी। किसानों ने खरीद केंद्रों पर आना बंद कर दिया है।
मांग पूरी नहीं हुई
सरसों के दाम में 10 फीसदी की बढ़ोतरी
व्यापारियों का कहना है कि पिछले कुछ दिनों में सरसों के दाम में 10 फीसदी की बढ़ोतरी हुई है। इसके पीछे प्रमुख कारण सोयाबीन उत्पादक देश ब्राजील में बाढ़ है। इसके कारण विदेशों में कीमतों में वृद्धि हुई है। वहां से भारत में तेल का आयात भी किया जाता है। आयात के प्रभाव के कारण तेल की मांग भी बढ़ी है। फसल की पैदावार में 20 प्रतिशत की कमी आई है। विशेषज्ञों के अनुसार, यह प्रवृत्ति जारी रहने की उम्मीद है।
व्यापारियों का कहना है कि पिछले कुछ दिनों में सरसों के दाम में 10 फीसदी की बढ़ोतरी हुई है। इसके पीछे प्रमुख कारण सोयाबीन उत्पादक देश ब्राजील में बाढ़ है। इसके कारण विदेशों में कीमतों में वृद्धि हुई है। वहां से भारत में तेल का आयात भी किया जाता है। आयात के प्रभाव के कारण तेल की मांग भी बढ़ी है। फसल की पैदावार में 20 प्रतिशत की कमी आई है। विशेषज्ञों के अनुसार, यह प्रवृत्ति जारी रहने की उम्मीद है।