अगले महीने की 10 तारीख तक करें ज्वार की बिजाई 50 से 60 दिन बाद करें पहेली कटाई, देख रेख सहित उन्नत किस्म के बारे में जाने।
ज्वार की खेती से किसान चारे की आपूर्ति करने के साथ-साथ हरे चारे की बिक्री कर आमदनी भी बढ़ा सकते हैं। चौधरी चरण सिंह हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. बीआर काम्बोज ने बताया कि जल्द बढ़ने की क्षमता व अधिक चारा उत्पादन के साथ स्वादिष्ट चारे का गुण ही ज्वार को आदर्श फसल बनाता है। इसे सूखा चारा (कड़बी), साइलेज व 'हे' के रूप में भी पशुचारे के लिए उपयोग किया जाता है। ज्वार के हरे चारे में पौष्टिकता की दृष्टि से प्रोटीन (8 से 11%), फाइबर (30 से 32%) और लिग्निन (6 से 7%) पाए जाते हैं जो अन्य चारों की अपेक्षा इसकी पाचन क्रिया।
फूल आने पर करें कटाईः एक-कटाई वाली किस्मों की कटाई फूल आने पर करें। बहु-कटाई वाली फसल में पहली कटाई बुवाई के 55-60 दिन बाद करें और तत्पश्चात प्रत्येक कटाई 40- 45 दिन के अंतराल पर करें। बहु कटाई वाली किस्मों की कटाई जमीन से 10-12 सेमी ऊपर से करें ताकि फुटाव जल्दी हो।
ऐसे करें भूमि व खेत की तैयारी
चारा अनुभाग के ज्वार विषेशज्ञ डॉ. सतपाल ने बताया कि ज्वार की खेती के लिए दोमट मिट्टी सबसे अच्छी है। बिजाई का सही समय 25 जून से 10 जुलाई है। ज्वार के लिए 20-24 किलोग्राम व सुडान घास के लिए 12 से 14 किलोग्राम बीज प्रति एकड़ के हिसाब 25 सेमी के फासले पर लाइनों में ड्रिल या पोरे की मदद से करें। बीज को बिखेरकर ना बोऐं। कम वर्षा वाले व बारानी इलाकों में बिजाई के समय 20 किलोग्राम नाइट्रोजन प्रति एकड़ दें। सारी खाद बिजाई से पहले कतारों में ड्रिल करें।
ऐसे करें विषैले तत्वों का प्रबंधन
ज्वार में धूरिन की अधिक सांद्रता पशुओं के लिए हानिकारक होती है। धूरिन अगर 200 पीपीएम से ज्यादा हो तो यह पशुओं के लिए घातक होता है। 30 दिन की फसल में इसकी सांद्रता ज्यादा होती है। इसलिए फसल को बिजाई के 50 से 60 दिन बाद ही काटना चाहिए, अगर बहुत जरूरी हो तो एक सिंचाई करने के बाद ही कटाई करें। अधिक सूखा एवं अधिक नत्रजन उरर्वकों का प्रयोग भी धूरिन की सांद्रता को बढ़ाता है।
फसल की उन्नत किस्म कौन-कौन सी है नवंबर तक ले सकते हैं कटाई का उत्पादन
अनुसंधान निदेशक डॉ. एसके पाहुजा ने बताया कि ज्वार की फसल के लिए एक कटाई वाली मुख्य उन्नत किस्मों में सीएसवी 53 एफ, एचजे 1514, एचजेएच 1513, एचजे 541, एचजे 513, एचसी 308, एचसी 136 शामिल हैं। ये सभी किस्में 80 से 85 दिन में हरे चारे के लिए तैयार हो जाती हैं तथा इनकी हरे चारे की औसतन पैदावार 200-250 क्विंटल प्रति एकड़ तक है। इनके अलावा एसएसजी 59-3 अनेक कटाई वाली किस्म है। यह किस्म नवंबर तक 3-5 कटाई में 300 क्विंटल प्रति एकड़ हरे चारे की पैदावार देती है।