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Sugarcane Farming: AI तकनीक से होगी अब गन्ने की खेती 

AI तकनीक से किसानों को मिलेगा अब हर समस्या से समाधान 
 

Sugarcane Farming: सरकार ने देश के किसानों की मदद के लिए कई तरह के काम किए हैं। इस आधुनिक युग में खेती में किसानों के द्वारा अब आर्टिफीसियल इंटेलिजेंस (AI) का इस्तेमाल हो रहा है। फिलहाल अभी तक भारत में उत्तर प्रदेश में गन्ने की खेती के लिए AI का उपयोग किया जा रहा है। कुछ मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, AI तकनीक से किसानों को गन्ने में लगने वाली बिमारी से पहले ही अवगत करवा दिया जाता है। इस AI तकनीक की मदद से किसानों की फसल की साडी जानकारी उपलब्ध हो जाती है।  

बतादें कि, कृषि क्षेत्र में अब आर्टिफीसियल इंटेलिजेंस (AI) तकनीक के आने से किसानों का काम बहुत हद तक आसान हो गया है। तो आइये आपको भी अवगत करवाते है इस नै तकनीक से।  

गन्ने की खेती में AI का इस्तेमाल कैसे? 
रिपोर्ट के मुताबिक़, सिर्फ उत्तर प्रदेश के चीनी मीलों द्वारा करीब 500 लाख टन से भी अधिक गन्ने की रोपाई होती है। ऐसे में प्रदेश में तकरीबन 120 चीनी मीलों के द्वारा किया जाता है। इसी को देखते हुए उत्तर प्रदेश में पहली बार गन्ने की खेती को देखते हुए इसके लिए AI तकनीक का उपयोग किया जा रहा है। इसके इस्तेमाल से किसानों को गन्ने की खेती में अच्छा और ज्यादा मुनाफा हो पाएगा।  

रिपोर्ट्स के अनुसार, AI तकनीक से किसानों को अपनी फसल के बारे में हर एक जानकारी पहले से ही उपलब्ध हो जाएगी. वहीं, किसानों को इस बात की भी जानकारी होगी कि उनकी फसल में किस समय कौन सा रोग लगने वाला है। इसके अलावा फसल के अच्छे विकास के लिए जल सिंचाई, मिट्टी के नमूने की जांच और साथ ही फसलों की रोपाई समेत कई अन्य महत्वपूर्ण जानकारी सरलता से उपलब्ध होगी। इसके जरिए ये भी किसानों को पता चल जाएगा कि किस समय खेत में और कितनी मात्रा में खाद व उवर्रकों को डालना है।  

किसानों की मदद के लिए बनाना पीएम किसान AI चैटबॉट (PM Kisan AI Chatbot):
केंद्र सरकार ने हाल ही में देश के किसानों की मदद के लिए PM Kisan AI Chatbot को लॉन्च किया था। ये AI Chatbot प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि योजना का ही एक हिस्सा है। इस चैटबॉट का मकसद पीएम-किसान योजना को अधिक प्रभावी बनाना और किसानों के सवालों का तेज, स्पष्ट और सटीक जवाब देना है।  ये चैटबॉट पांच भाषाओं में किसानों के सवालों के उत्तर देगा। इसमें हिंदी, उड़िया, अंग्रेजी, तमिल और बंगाली भाषा शामिल है। 

ऐसा माना जा रहा है कि आने वाले समय में इस AI तकनीक का इस्तेमाल ज्यादा से ज्यादा किया जाएगा।