{"vars":{"id": "100198:4399"}}

Haryana News: कृषि विभाग ने की बड़ी कार्रवाई, उपनिदेशक बलवंत को विभाग ने किया सस्पेंड, जानें पूरा मामला 

व्हाट्सएप ग्रुपों में वायरल होने के मामले में अब कृषि विभाग के उपनिदेशक डा. बलवंत को विभाग ने सस्पेंड कर दिया है।
 

Haryana News: कृषि विभाग कैथल में तैनात एक जिला स्तर के अधिकारी पर रिश्वत लेने संबंधी एक लिस्ट व्हाट्सएप ग्रुपों में वायरल होने के मामले में अब कृषि विभाग के उपनिदेशक डा. बलवंत को विभाग ने सस्पेंड कर दिया है। इस मामले में कृषि विभाग के मुख्यालय की ओर से पत्र जारी कर अधिकारी की बर्खास्तगी की जानकारी दी गई है।

बुधवार को ही डीडीए की ओर से हटाए गए अनुबंध पर लिपिक प्रगट सिंह के खिलाफ सिविल लाइन थाना की पुलिस को फर्जी दस्तावेजों के आधार पर नौकरी पर नियुक्त होने की शिकायत दी थी। इसके बाद अधिकारी व कर्मचारी आमने-सामने हो गए थे और हटाए गए कर्मी प्रगट सिंह मीडिया के सामने भी आए थे।

 बर्खास्त किए गए कृषि विभाग के जिला उप निदेशक ने प्रगट सिंह पर बोगस दस्तावेजों के आधार पर नियुक्ति का आरोप लगाया था। इसके बाद इस मामले में पुलिस ने कर्मचारी के खिलाफ धोखाधड़ी की शिकायत दर्ज की थी। दो दिन पहले ही वाट्सएप ग्रुपों में कृषि विभाग के उपनिदेशक की ओर से रिश्वत लेने की एक सूची वायरल हुई है। जारी की गई सूची में चार हजार से लेकर 20 लाख रुपये तक की रिश्वत देने का जिक्र हुआ था। आरोप लगाने वाले कर्मी का कहना था कि विभाग के कर्मचारी कभी स्टॉक रजिस्टर पूरा न होने के नाम पर तो कभी दवाइयों के सैंपल लेने का डर दिखाकर रिश्वत लेता है। यह भी सामने आया कि पिछले दिनों कृषि विभाग के अधिकारियों ने चीका में एक पेस्टीसाइड का गोदाम सील किया था। आरोप था कि इस गोदाम में नकली दवाइयां जमा की गई है। बाद में जब इस गोदाम को खोला गया तो उसमें से दवाइयां गायब मिली 


डीडीए ने हटाए गए कर्मी के खिलाफ यह दी थी शिकायत

सिविल लाइन थाना पुलिस में डीडीए बलवंत सिंह ने शिकायत देकर बताया था कि पूंडरी निवासी प्रगट सिंह 16 अक्टूबर 2020 को कार्यालय में आत्मा स्कीम के तहत लिपिक के पद पर नियुक्त हुआ था। उसे विभाग की ओर से आउटसोर्स एजेंसी के माध्यम से योग्यता से संबंधित दस्तावेज उपलब्ध करवाने के लिए लिखा गया था। जब उसने इस पद के लिए अपेक्षति योग्यता से संबंधित पत्ल प्रस्तुत किए तो दस्तावेज बोगस व जाली पाए गए। इसके बाद उसकी सेवाएं समाप्त कर कार्यभार से मुक्त कर दिया था। उसने जो वेतन प्राप्त किया, वह भी जाली तरीके से पाया। जबकि प्रगट सिंह कि इस पद के लिए पालता नहीं बनती थी।