{"vars":{"id": "100198:4399"}}

राजस्थान में इन कर्मचारियों को बड़ा झटका, 30 जून के बाद इन्हें हटाएगी भजनलाल सरकार

भजनलाल सरकार ने प्रदेश में पिछली सरकार में लगे लगभग 1000 सरकारी कर्मचारियों को हटाने का फैसला किया है।
 

Rajsthan News: राजस्थान प्रदेश से उन कर्मचारियों के लिए बुरी खबर है जो गहलोत सरकार में सरकारी नौकरी लगे थे। भजनलाल सरकार ने प्रदेश में पिछली सरकार में लगे लगभग 1000 सरकारी कर्मचारियों को हटाने का फैसला किया है।


राजस्थान प्रदेश में मनरेगा की सोशल ऑडिट करने के लिए गहलोत सरकार में रखे गए 1 हजार कर्मचारीयों को भजनलाल सरकार ने 30 जून के बाद से हटाने का फैसला किया है। आपको बता दें कि ये कर्मचारी गहलोत सरकार के दौरान राजस्थान में पंचायती राज विभाग के अधीन 2020 में नौकरी लगे थे। इन कर्मचारियों को उसे समय कांग्रेस सरकार ने कांट्रेक्ट बेस पर लिया था। अब इनका कॉन्ट्रैक्ट 30 जून को खत्म हो रहा है। भजनलाल सरकार ने अभ इन कर्मचारियों का कॉन्ट्रैक्ट ना बढ़कर 30 जून के बाद इन्हें निकालना का निर्णय नहीं लिया है।

सरकार करेगी अरावली संस्थान की सेवाएं खत्म 

राजस्थान प्रदेश में पंचायती राज विभाग के सचिव रवि जैन ने बताया कि वर्ष 2020 में इन मानव संसाधन की सेवाएं एक संस्थान के माध्यम से ली जा रही थी। इस संस्थान का नाम अरावली है जो सरकार की योजनाओं के साथ पर्यावरण और सामाजिक सुधार के लिए आमजन और पिछड़े लोगों को जागरूक करती है। लेकिन वर्तमान में भजनलाल सरकार ने अब इनकी सेवाएं आगे जारी नहीं रखने का फैसला किया है। जिस वजह से गहलोत सरकार में लगे लगभग 1000 कर्मचारीयों के 30 जून के बाद छुट्टी हो जाएगी।

मानव संसाधनों की गहलोत सरकार में होती थी एक महीने की ट्रेनिंग

गहलोत सरकार में जिन मानव संसाधन को रखा गया था इन्हें राज्य मानव संसाधन, जिला मानव संसाधन और ब्लॉक मानव संसाधन के द्वारा एक महीने की ट्रेनिंग के बाद एक साल के कॉन्ट्रैक्ट पर रखा जाता था। इन लोगों का एक वर्ष बाद कॉन्ट्रैक्ट रिन्यू कर दोबारा रख लिया जाता था। लेकिन अब इसे सरकार द्वारा समाप्त कर दिया गया है। सरकार द्वारा अरावली संस्था को समाप्त करने के बाद अब इनकी सेवाएं रिन्यू होंगी। आपको बता दें कि पिछली गहलोत सरकार ने वर्ष 2020 में मनरेगा में सोशल ऑडिट के प्रदेश में 1 हजार मानव संसाधनों की नियुक्ति कॉन्ट्रैक्ट बेस पर की थी। गहलोत सरकार द्वारा राज्य, जिला और ब्लॉक स्तर पर हुई अलग-अलग पदों पर भर्ती के लिए इनको अलग-अलग मानदेय दिया जाता था।