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Shikshak Bharti update:24 हजार शिक्षकों की भर्ती हाई कोर्ट ने की रद्द, शिक्षकों दोबारा ली गई सैलरी भी करनी होगी वापस
 

24 हजार शिक्षकों की भर्ती हाई कोर्ट ने की रद्द, शिक्षकों दोबारा ली गई सैलरी भी करनी होगी वापस
 
 

 Shikshak Bharti update:अगर आपको सरकारी विभाग में एक शिक्षक के रूप में नौकरी मिल जाए और सालों नौकरी करने के बाद अचानक हाईकोर्ट आदेश जारी कर दे कि सालों पहले लगे हुए शिक्षकों की भर्ती रद्द की जाती है और आपको बीते वर्षों में प्राप्त सैलरी को भी वापस करना होगा तो आपके पैरों तले जमीन खिसकना स्वभाविक बात है।

क्योंकि हम आज के इस दौर में सरकारी नौकरी प्राप्त करने हेतु कड़ी मेहनत के साथ-साथ लाखों जतन करते हैं। लेकिन सरकारी नौकरी के बाद और 8 वर्ष सैलरी लेने के बाद हाई कोर्ट अगर संपूर्ण भर्ती प्रक्रिया रद्द कर दे और संपूर्ण सैलरी वापस लौटाने के आदेश जारी कर दे, तो सरकारी नौकरी प्राप्त करने वाले व्यक्ति के साथ क्या बीतती होगी इसका अंदाजा लगाना मुश्किल है।

यह बात हम इसलिए बता रहे हैं क्योंकि आज कोलकाता हाईकोर्ट ने 24000 शिक्षकों की भर्ती प्रक्रिया रद्द कर दी है। इन शिक्षकों की सालों पहले शिक्षक के तौर पर जॉइनिंग हो चुकी थी। आज कोलकाता हाईकोर्ट ने आदेश जारी करते हुए पश्चिम बंगाल सरकार द्वारा 2016 में की गई शिक्षकों की भर्ती को रद्द कर दिया है। इतना ही नहीं कोर्ट ने इन शिक्षकों को इस दौरान ली गई संपूर्ण सैलरी वापस करने की भी आदेश दिए हैं।

कोलकाता हाई कोर्ट ने आदेश जारी करते हुए कहा कि पश्चिम बंगाल स्कूल सेवा आयोग इस भर्ती प्रक्रिया को रद्द करके नई भर्ती प्रक्रिया के तहत शिक्षकों की नियुक्ति करें। ज्ञात हो कि पश्चिम बंगाल सरकार ने 2014 में 24000 से अधिक पदों पर टीचिंग और नॉन टीचिंग स्टाफ की भर्ती की थी। इस भर्ती प्रक्रिया के में 23 लाख से अधिक अभ्यर्थियों ने हिस्सा लिया था। इस भर्ती के दौरान आरोप लगे थे कि 5 से 15 लाख तक की रिश्वत ली गई है।

इस भर्ती में हुई दान लेकर चलते पश्चिम बंगाल सरकार में पूर्व शिक्षा मंत्री रहे पार्थ चटर्जी को अपना इस्तीफा देना पड़ा था। उन दिनों पार्थ चटर्जी और मॉडल अर्पिता मुखर्जी पर इस भर्ती के तहत करोड़ों रुपए का भ्रष्टाचार करने की आरोप लगे थे। जिसके चलते कई लोगों ने इस भर्ती को रद्द करने हेतु कोलकाता हाई कोर्ट में अर्जि दाखिल की थी।

इसी के चलते कोलकाता हाईकोर्ट ने इस संपूर्ण भर्ती प्रक्रिया को रद्द कर दिया है। हालांकि पश्चिम बंगाल राज्य की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने इस फैसले को गैरकानूनी बताते हुए सुप्रीम कोर्ट जाने की बात कही है।