हरियाणा प्रदेश अध्यक्ष भाजपा की दौड़ में ये तीन नाम हैं सबसे आगे, आज या कल केंद्रीय नेतृत्व लगा सकता है फाइनल मोहर
Haryana News: हरियाणा प्रदेश में भाजपा पार्टी द्वारा नायाब सैनी को मुख्यमंत्री बनाए जाने के बाद अब प्रदेश अध्यक्ष बनाई जाने हेतु प्रक्रिया तेज कर दी है। सूत्रों से मिली खबर के अनुसार आज या कल में केंद्रीय नेतृत्व भाजपा के नए प्रदेश अध्यक्ष के नाम पर मोहर लगा सकता है। अगर हम भाजपा के नए प्रदेश अध्यक्ष की बात करें तो इस रेस में तीन नाम प्रमुख रूप से सबसे आगे नजर आ रहे हैं।
इस रेस मुख्य रूप से करनाल लोकसभा से वर्तमान में सांसद संजय भाटिया का नाम सबसे आगे दिखाई दे रहा है। वही कमल गुप्ता और मनीष ग्रोवर नाम की चर्चा भी जोरों से चल रही है। अब यह देखना दिलचस्प होगा कि इस रेस में कौन बाजी मारता है। वैसे देखा जाए तो तीनों ही नेता राजनीतिक क्षेत्र के तकड़े खिलाड़ी माने जाते हैं।
लेकिन भाजपा पार्टी में केंद्रीय नेतृत्व द्वारा पिछले दिनों हरियाणा प्रदेश में किए गए उलटफेर को देखते हुए कोई भी नेता या कार्यकर्ता सामने आकर स्पष्ट रूप से किसी का नाम बताने से कतरा रहा है। ज्ञात हो कि पिछले दिनों ओमप्रकाश धनखड़ को प्रदेश अध्यक्ष के पद से हटाकर पार्टी ने नायब सिंह सैनी को हरियाणा का प्रदेश अध्यक्ष बनाया था।
लेकिन अभी बिते दोनों नायब सैनी को हरियाणा प्रदेश का मुख्यमंत्री बनाने के बाद अध्यक्ष की कुर्सी एक बार फिर से खाली हो गई थी। नया अध्यक्ष बनाने हेतु भाजपा संगठन ने अपनी रिपोर्ट केंद्रीय नेतृत्व को भेज दी है। जैसे ही केंद्रीय नेतृत्व किसी एक नाम पर फाइनल मोहर लगा देता है तो, आने वाले दिनों में भाजपा पार्टी को हरियाणा प्रदेश में नया प्रदेश अध्यक्ष मिल जाएगा।
जिस संजय भाटिया के नाम की चर्चाएं सबसे अधिक चल रही है। वह वर्तमान में करनाल लोकसभा सीट से सांसद हैं। संजय भाटिया को मुख्यमंत्री मनोहर लाल काफी करीबी माना जाता है। इसके अलावा केंद्रीय नेतृत्व पंजाबी वोट बैंक को साधन हेतु भी इनको हरियाणा प्रदेश का अध्यक्ष बना सकता है। 56 वर्षीय संजय भाटिया कई बोर्डों में अध्यक्ष भी रह चुके हैं।
आपको बता दें कि संजय भाटिया ने पिछले लोकसभा चुनाव में 6 लाख से अधिक वोटो से विजय प्राप्त की थी। वहीं कमल गुप्ता हरियाणा सरकार में पूर्व में मंत्री रह चुके हैं और मनीष ग्रोवर संघ के काफी पुराने साथी माने जाते हैं व विधानसभा के सदस्य भी रह चुके हैं।
अब यह देखना दिलचस्प होगा कि इन तीनों में से केंद्रीय नेतृत्व किस नाम पर प्रदेश अध्यक्ष की मोहर लगता है या इन तीनों के अलावा किसी अन्य छुपे रुस्तम को प्रदेश अध्यक्ष से की बागडोर की कमान दी जाएगी।