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Banking Amendment: वित्त राज्य मंत्री पंकज चौधरी ने बैंकिंग कानून विधेयक पेश किया, बैंकिंग व्यवस्था से जुड़े चार अलग-अलग तरह के संशोधन किए।

Four different types of amendments related to banking system
 
Banking Amendment:आने वाले समय में देश का प्रत्येक बैंक ग्राहक अपने बैंक खाते के लिए चार नॉमिनी रख सकता है.
 बैंक खाते में एक साथ चार व्यक्तियों को अपने बाद उत्तराधिकारी घोषित किया जा सकता है.
 या फिर क्रमांक तरीके से भी इनका नाम कानूनी तोर से दर्ज करवाया जा सकता है।

 इसके संबंध में शुक्रवार कल लोकसभा में सरकार की तरफ से बैंकिंग कानून संशोधन विधेयक 2024 पेश कर दिया गया है। 
यह विधेयक राज्य मंत्री पंकज चौधरी द्वारा पेश किया गया है इसके जरिए बैंकिंग व्यवस्था से जुड़े चार अलग-अलग प्रकार के कानून में संशोधन किया गया है। सरकार का यह कहना है कि इस बैंकिंग कानून विधेयक से बैंकिंग ग्राहकों के अधिकारों की रक्षा ज्यादा बेहतर तरीके से की जा सकती है।

एक अहम प्रस्तावित संशोधन यह है कि अगर किसी निवेशक के बिना दावे वाला लाभांश, शेयर या बांड्स पर देय ब्याज निवेशक सुरक्षा कोष में हस्तांतरित किया जा चुका है तो उक्त निवेशक को अपनीराशि वापस लेने का हक होगा। कई बार निवेशकों को पता नहीं चलता है और पुराने निवेशित राशि बैंक खाता संचालित नहीं होने की वजह से निवेशक शिक्षा व सुरक्षा कोष (आइईएसएफ) में डाल दिया जाता है। एक बार उक्त फंड में पैसा जाने के बाद उससे निकालने की व्यवस्था नहीं थी जिसकी राह अब खोल दी जाएगी। सरकार की तरफ से कानून के प्रस्तावना में कहा गया है।

कि विगत कुछ वर्षों में देश के बैंकिंग सेक्टर में कई तरह के बदलाव हुए हैं और उनके हिसाब से कदम उठाते हुए संशोधन के प्रस्ताव किए जा रहे हैं।


निवेशकों को मिलेगा बिना दावे वाला लाभांश, शेयर या बांड्स पर देय ब्याज वापस पाने का अधिकार

* सभी सहकारी बैंकों को पखवाड़े के आखिरी शुक्रवार के बजाय अंतिम दिन भेजनी होगी वैधानिक रिपोर्ट

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सहकारी बैंकों के कामकाज में होगा सुधार

कुछ संशोधन सहकारी बैंकों के कामकाज को बेहतर करने के उद्देश्य से किए जा रहे हैं। मसलन, सहकारी बैंकों के निदेशकों के कार्यकाल की सीमा आठ वर्ष से बढ़ाकर 10 वर्ष किया जा रहा है। इसमें पूर्णकालिक निदेशक या चेयरमैन को शामिल नहीं किया गया है। अन्य वाणिज्यिक बैंकों के लिए यह व्यवस्था पहले ही की जा चुकी है। इसी तरह से केंद्रीय सहकारी बैंकों के निदेशक पद पर कार्यरत व्यक्तियों को साथ साथ राज्यों के सहकारी बैंकों के निदेशक के तौर पर भी काम करने की इजाजत देने का प्रस्ताव है। सभी बैंकों के लिए एक व्यवस्था यह की जा रही है कि अब उन्हें हर पखवाड़े के अंतिम शुक्रवार को नहीं बल्कि पखवाड़े के अंतिम दिन वैधानिक रिपोर्ट भेजनी होगी।