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 शीतला माता जीसे लगाया जाता है बासी भोजन का भोग इनके जन्म,पूजा विधि के बारे में पढ़ें

Read about the birth and worship method of Shitala Mata, to whom stale food is offered.
 

 माता शीतला के स्वरूपों का वर्णन स्कंद पुराण में मिलता है माता को देवी शक्ति का स्वरूप माना गया है माता शीतला को बासी भोजन का भोग लगता है प्रत्येक साल चैत्र महीने की कृष्ण पक्ष की सप्तमी को माता शीतला की पूजा होती है जिसे शिली सातम भी कहा जाता है हिंदू धर्म में इस त्यौहार को बासयोड़ा भी कहा जाता है इस त्योहार के पहले दिन ही माता रानी का प्रसाद बनाया जाता है और दूसरे दिन बासी भोजन का माता को भोग लगाया जाता है.

शीतला माता की पूजा करने से माना जाता है कि चेचक रोग नहीं होता छोटे बच्चों को इस रोग से बचाने के लिए माता शीतला की पूजा की जाती है.


 माता शीतला के इस त्योहार से जुड़ी कुछ रोचक बातें
 माता शीतला को स्कंद पुराण में चेचक रोग की देवी माना गया है माता शीतला के हाथ में कलश, सूप, झाड़ू तथा नीम के पत्ते धारण किए हुए हैं माता शीतला  गर्दभ सवारी पर विराजमान होकर आती है
शीतला माता के साथ ज्वरासुर ज्वर का दैत्य, हैजे की देवी, त्वचा रोग चौसठ रोग और रक्तवती देवी की पूजा की जाती है


 
 माता शीतला की पूजा विधि
शीतला सप्तमी के दिन जल्दी उठकर ठंडे जल से स्नान करना चाहिए स्नान करने के बाद माता की पूजा करनी चाहिए बासी भोजन का ही भोग लगाना चाहिए भोग में मीठे चावल हल्दी चने की दाल और एक कलश में पानी भरकर पूजा आरंभ करनी चाहिए सबसे पहले माता को ठंडा जल अर्पित करें और जल के कुछ बंदे अपने ऊपर भी छिड़कें तथा घर के सभी सदस्य इस जल को अपनी आंखों पर लगाए तथा घर में छिड़काव करें इसके बाद बासी मीठे चावल दही का भोग लगाएं इस दिन घर में गर्म भोजन नहीं बनना चाहिए घर के सभी सदस्यों को बासी भोजन  करना चाहिए