PF ACCOUNT: PF account से पैसा निकालने पर भी लग सकता है आपको टैक्स जानिए टैक्स से बचने के उपाय व क्यों लग सकता है टैक्स।
जब भी कोई व्यक्ति जब स्टार्ट करता है तो ईपीएफओ से एक यूनिवर्सल अकाउंट नंबर उसे प्राप्त होता है। आपका नियोक्ता इस यूनिवर्सल अकाउंट नंबर के तहत एक पीएफ खाता खोलना है जिसमें आप और कंपनी दोनों इसमें हर महीने कुछ पैसे डालते हैं। बहुत से कर्मचारियों का यह मानना है कि यूनिवर्सल अकाउंट नंबर खाते से पैसा निकालने पर टैक्स नहीं देना होता लेकिन यह बात पूरी तरह से सत्य नहीं है कुछ परिस्थितियों में आपको निकासी पर टैक्स देना पड़ सकता है।
5 साल तक EPF मैं कंट्री भूषण के बाद अगर आप पेमेंट निकलवाते हैं तो इपीएफ अकाउंट को कोई टैक्स नहीं देना पड़ता है। अगर आप इन 5 सालों में आपने एक कंपनी में काम किया है, या आपने एक से कहीं और काम किया है इसमें आपके अकाउंट पर कोई फर्क नहीं पड़ता लेकिन अगर आपने 5 साल तक कोई कंपनी में पूरा काम नहीं किया है और खाते में जमा रकम निकालने की सोचते हैं तो टैक्स चुकाना पड़ेगा।
लेकिन इसमें भी कुछ शर्ते होती है जिससे आपको टैक्स नहीं चुकाना पड़ता है जिसमें आपको 5 साल पहले की निकासी पर कोई टैक्स नहीं लगता।
जैसे की एंप्लॉय के स्वास्थ्य खराब हो जाना एंपलॉयर के कारोबार बंद होने पर या कोई अन्य वजह से एम्पलाई की नौकरी छूट जाए जिसके लिए एम्पलाई कतई जिम्मेदार नहीं होता।
अगर आप 5 साल से पहले पेमेंट निकालते हैं तो आपको टैक्स देना पड़ेगा यह टेक्स आपको उसे साल देना होगा जिस साल अपने पीएफ अकाउंट से पूंजी निकली है आप मान लीजिए किसी ने 2021-22 में पीएफ में जमा करना शुरू किया। और 2024 25 में ऐप में जमा रकम निकालने की सोचता है तो उसे टैक्स साल 2024 25 में देना होगा जिस साल अपने पीएफ में योगदान किया है उस साल आपकी कुल आमदनी पर लागू टैक्स स्लैब के हिसाब से टैक्स की गणना की जाएगी।
पीएफ में जमा रकम के चार हिस्से होते हैं कर्मचारी का स्थान नियोक्ता का स्थान एंपलॉयर के कंट्रीब्यूशन पर मिलने वाला ब्याज और कर्मचारियों के कंट्रीब्यूशन पर मिलने वाला ब्याज अगर आप 5 साल से पहले अपने पीएफ अकाउंट से जमा रकम निकालना चाहते हैं तो इन चारों हिस्सों में से टैक्स लगेगा।
एम्पलाई के कंट्रीब्यूशन पर टैक्स की देनदारी मुख्यतया दो बातों पर निर्भर करती है अगर एंप्लॉय अपने कंट्रीब्यूशन पर 80c के तहत मिलने वाले डिक्टेशन का लाभ लेता है तो उसका कंट्रीब्यूशन टेस्ट के दायरे में आता है उसके अंशदान को सैलरी का हिस्सा माना जाएगा लेकिन 80c के तहत डिक्टेशन का लाभ नहीं लेने पर एंप्लॉय का कॉन्ट्रिब्यूशन टैक्स के दायरे में नहीं आता है नियोक्ता का कॉन्ट्रिब्यूशन और उस पर मिलने वाले ब्याज को सैलरी का हिस्सा माना जाता है।
अगर आप 5 साल से पहले पेमेंट निकालते हैं तो यह टैक्सेबल हो जाता है 5 साल से पहले अगर प्रोविडेंट फंड से पैसा निकाला जाता है और सब्सक्राइबर का पैन कार्ड लिंक नहीं है तो आपका 20% कटेगा वहीं अगर आपका पीएफ अकाउंट पेन से लिंक्ड है तो टीडीएस 10 पीस दी कटेगा अगर epf में जमा रकम 50000 से कम है तो आपको टीडीएस नहीं देना पड़ेगा अगर आपकी आई टैक्स के दायरे से कम है तो आप फार्म 15g या 15 hतक जमा कर टीडीएस से बच सकते हैं