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हरियाणा प्रदेश में अटल भूजल योजना के तहत भूजल संरक्षण हेतु सरकार खर्च करेगी 723 करोड़, मुख्यमंत्री ने की बड़ी घोषणा

Haryana News: भूजल के सत्र की गिरने के कारण किसानों की फसले भी प्रभावित हो रही हैं। अब हरियाणा प्रदेश में भूजल प्रबंधन में क्रांतिकारी बदलाव लाने के लिए अटल भूजल योजना के माध्यम से सरकार द्वारा भूजल संरक्षण के सुधार पर ध्यान दिया जा रहा है।
 

indiah1,Haryana News: हरियाणा प्रदेश में भूजल संरक्षण हेतु सरकार ने बड़ा बजट पास किया है। प्रदेश के मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने बताया कि हरियाणा के अंदर अटल भूजल योजना के माध्यम से सरकार भूजल संरक्षण करने हेतु लगभग 723 करोड रुपए से अधिक खर्च करने जा रही है। इस योजना का मुख्य उद्देश्य किसानों को सिंचाई हेतु स्वच्छ जल प्रदान करना है।

आपको बता दें कि हरियाणा प्रदेश के अंदर भूजल का स्तर दिन प्रतिदिन गिरता जा रहा है। भूजल के सत्र की गिरने के कारण किसानों की फसले भी प्रभावित हो रही हैं। अब हरियाणा प्रदेश में भूजल प्रबंधन में क्रांतिकारी बदलाव लाने के लिए अटल भूजल योजना के माध्यम से सरकार द्वारा भूजल संरक्षण के सुधार पर ध्यान दिया जा रहा है।

इसके लिए प्रदेश सरकार ने 723 करोड़ रुपये का बजट निर्धारित किया है। जिससे प्रदेश के 14 जिलों की 1656 ग्राम पंचायतों के भू-जलस्तर में सुधार लाया जाएगा।
ज्ञात हो कि भूजल की खपत कम करने के लिए सूक्ष्म सिंचाई के बुनियादी ढांचे को विकसित करते हुए किसानों को 85 प्रतिशत सब्सिडी दी जा रही है।

सूक्ष्म सिंचाई के माध्यम से पानी की लगभग 50 प्रतिशत खपत कम हो जाएगी। पिछले कुछ सालों में करीब 7-8 लाख एकड़ कृषि भूमि को सूक्ष्म सिंचाई के अंतर्गत लाया जा चुका है, जबकि उससे पहले 35 वर्षों में सिर्फ ढाई लाख एकड़ जमीन में सूक्ष्म सिंचाई शुरू हुई थी।

प्रदेश में तालाब होंगे पुनर्जीवित


अटल भूजल संरक्षण योजना के तहत हरियाणा प्रदेश के 5000 से अधिक तालाबों को पुनर्जीवित करने का लक्ष्य रखा गया है। इसके लिए हरियाणा वेस्ट वाटर मैनेजमेंट अथारिटी बनाई गई है। वहीं धान की खेती करने वाले 12 प्रमुख जिलों में धान की सीधी बुवाई पद्धति को प्रोत्साहन दिया जा रहा है। इस पद्धति से पानी की खपत लगभग 20 प्रतिशत कम हो जाती है। हरियाणा सरकार धान की सीधी बुवाई के लिए किसानों को चार हजार रुपये एकड़ की प्रोत्साहन राशि दे रही है। इस पद्धति से लगभग दो करोड़ से अधिक क्यूबिक मीटर पानी संरक्षित करने में सफलता मिली है।

सरकार का उद्देश्य प्रदेश में जल की बूंद-बूंद का संरक्षण करना

सरकार का उद्देश्य प्रदेश में जल की एक-एक बूंद का संरक्षण करना है। इसके लिए सीवेज के पानी के ट्रीटमेंट के बाद इस्तेमाल को बढ़ाने में भी मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने विशेष पहल की हैं। इस पानी का इस्तेमाल कृषि और औद्योगिक इस्तेमाल के लिए हो रहा है। अभी तक 175 के आसपास सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट (एसटीपी) का निर्माण हो चुका है। जिनमें लगभग 2100 मिलियन लाख प्रतिदिन (एमएलडी) अपशिष्ट जल का ट्रीटमेंट किया जा सकता है। इससे 1430 एमएलडी के लगभग उपचारित पानी प्राप्त हो रहा है।

इसमें से 199 एमएलडी ट्रीटेड जल का उपयोग गैर-पीने योग्य कार्यों में हो रहा है। अब अगले साल मार्च तक 975 एमएलडी ट्रीटेड जल और दिसंबर 2028 तक 1101 एमएलडी ट्रीटेड जल का उपयोग करने की कार्य योजना तैयार की गई है।