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Green Field Expressway: इन गाँव शहरों का हो गया भला !  भरतपुर से ब्यावर तक 342 किलामीटर लंबे ग्रीन फील्ड एक्सप्रेसवे को हरी झंडी मिली 

राजस्थान सरकार ने अपने पहले पूर्ण बजट में 9 ग्रीन फील्ड एक्सप्रेसवे की परिकल्पना की है। इनमें से अभी तक किसी का ले-आउट प्लान या रूट सामने नहीं आया है, लेकिन मूर्त रूप लेने पर ये ग्रीन फील्ड एक्सप्रेसवे राजस्थान के विकास की एक नई इबारत लिखेंगे। इन एक्सप्रेसवे के जरिए औद्योगिक और धार्मिक महत्व के शहरों को सीधे एक दूसरे से जोड़ने की कोशिश की जा रही है।
 

Green Field Expressway: राजस्थान सरकार ने अपने पहले पूर्ण बजट में 9 ग्रीन फील्ड एक्सप्रेसवे की परिकल्पना की है। इनमें से अभी तक किसी का ले-आउट प्लान या रूट सामने नहीं आया है, लेकिन मूर्त रूप लेने पर ये ग्रीन फील्ड एक्सप्रेसवे राजस्थान के विकास की एक नई इबारत लिखेंगे। इन एक्सप्रेसवे के जरिए औद्योगिक और धार्मिक महत्व के शहरों को सीधे एक दूसरे से जोड़ने की कोशिश की जा रही है।

भरतपुर-ब्यावर ग्रीन फील्ड एक्सप्रेसवे बनने से मध्य राजस्थान के लोगों को सीधे वहां पहुंचने में काफी आसानी होगी। भरतपुर जिले से सटे डीग जिले में चौरासी कोसीय परिक्रमा का कुछ हिस्सा आता है, जिससे प्रतिवर्ष हजारों श्रद्धालु परिक्रमा के लिए आते हैं। यह एक्सप्रेसवे न केवल धार्मिक यात्राओं को सुविधाजनक बनाएगा बल्कि ब्यावर के मशहूर तिल पापड़ी उद्योग को भी बूस्ट अप मिलेगा। इसकी लंबाई 342 किलामीटर होगी। 

ब्यावर भी राजस्थान के उन शहरों में शामिल है जिन्हें करीब आठ माह पहले गहलोत राज में जिला बनाया गया था। जिला बनते ही ब्यावर को अब ग्रीन फील्ड एक्सप्रेसवे की सौगात भी मिल गई है। यह उसके लिए दोहरी खुशी की बात है। वहीं सीएम भजनलाल भरतपुर जिले से आते हैं और उन्होंने बतौर सीएम अपने जिले को बड़ी सौगात दी है।

फिलहाल भरतपुर और ब्यावर जिले में कनेक्टिविटी काफी कम है। लेकिन यह एक्सप्रेसवे इसे बढ़ा सकता है। यह परियोजना न केवल धार्मिक और औद्योगिक महत्व की है बल्कि राजस्थान के समग्र विकास की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।

यह एक्सप्रेसवे राजस्थान की नई विकास गाथा लिखेगा और राज्य के विभिन्न हिस्सों के बीच कनेक्टिविटी और व्यापार के नए अवसर खोलेगा। इसके साथ ही, यह परियोजना राज्य की अर्थव्यवस्था को भी मजबूती प्रदान करेगी और रोजगार के नए अवसर सृजित करेगी।