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हरियाणा के किसान के बेटे ने अमेरिका में गाड़े झंडे, गोल्ड के साथ जीता आनंद महिंद्रा का भी दिल 

परवेज की दौड़ को देखकर महिंद्रा एंड महिंद्रा के चेयरपर्सन आनंद महिंद्रा भी अपने आप को नहीं रोक पाए। उन्होंने अपने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X पर परवेज की वीडियो शेयर कर उनकी जमकर सराहना की।
 
Haryana news: हरियाणा के नूंह जिले के तावडू अनुमंडल के चहलका गांव के रहने वाले राष्ट्रीय खेलों के स्वर्ण पदक विजेता परवेज खान ने अमेरिका के फ्लोरिडा में एसईसी चैंपियनशिप में एक बार फिर अपनी योग्यता साबित की है। शनिवार को, परवेज ने 1500 मीटर और 800 मीटर दौड़ में पहला स्थान हासिल करके एसईसी ट्रैक एंड फील्ड आउटडोर चैंपियनशिप 2024 के फाइनल इवेंट में जगह बनाई, उन्होंने रविवार को आयोजित प्रतियोगिता में 1500 मीटर में स्वर्ण और 800 मीटर में कांस्य जीतकर इतिहास रच दिया। वह ऐसा करने वाले पहले भारतीय हैं। 
परवेज की तूफ़ान जैसी रफ़्तार देखकर लोगों के साथ साथ–साथ उद्योगपति भी प्रभावित हुए हैं। परवेज की दौड़ को देखकर महिंद्रा एंड महिंद्रा के चेयरपर्सन आनंद महिंद्रा भी अपने आप को नहीं रोक पाए। उन्होंने अपने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X पर परवेज की वीडियो शेयर कर उनकी जमकर सराहना की।

अमेरिका के फ्लोरिडा में आयोजित एसईसी ट्रैक एंड फील्ड आउटडोर चैंपियनशिप 2024 में मेवात जिले के चहलका निवासी 20 वर्षीय परवेज खान ने 800 मीटर की दौड़ 1.48.33 मिनट में और 1500 मीटर की दौड़ 3.44.98 मिनट में पूरी की। फाइनल रविवार रात को फिर से खेला गया। 1500 मीटर दौड़ में विभिन्न देशों के 9 प्रतिभागियों ने भाग लिया। उन्होंने पुरुषों की 800 मीटर में स्वर्ण पदक और पुरुषों की 800 मीटर में रजत पदक जीता। इससे पहले, परवेज ने अंडर-16 वर्ग में 800 मीटर में राष्ट्रीय रिकॉर्ड बनाया था। जिसके बाद परवेज 2021-22 में नेशनल चैंपियन भी रह चुके हैं। इतना ही नहीं, परवेज एन. सी. ए. ए. ट्रैक पर दौड़ने वाले पहले भारतीय भी हैं, जिनसे पहले कोई भी भारतीय वहां क्वालीफाई नहीं कर सका था। परवेज के पिता नफीस अहमद ने कहा कि 1500 मीटर एथलीटों की रैंकिंग 30 जून से पहले की जाएगी, जिसके बाद शीर्ष दो एथलीटों को ओलंपिक में जाने का मौका मिलेगा।

कौन है? परवेज खान
 एक किसान का बेटा है और मेवात जिले के तावडू प्रखंड के गाँव चहलका का रहने वाला है। वह वर्तमान में भारतीय सेना में कार्यरत हैं। वहीं संयुक्त राज्य अमेरिका में फ्लोरिडा विश्वविद्यालय ने परवेज की प्रतिभा को 4 साल तक रखा है, जिसमें परवेज का सारा खर्च विश्वविद्यालय वहन कर रहा है।
 एक साल के लिए इसकी लागत 58 लाख रुपये है, लेकिन पूरा खर्च विश्वविद्यालय द्वारा वहन किया जा रहा है। परवेज के पिता नफीस अहमद ने कहा कि परवेज को यहां लाने में उनके परिवार का सबसे बड़ा सहयोग रहा है।

सेना में भर्ती की तैयारी करने की इच्छा से प्रेरित होकर परवेज ने कम उम्र में ही दौड़ना शुरू कर दिया था। अपनी प्रतिभा को पहचानते हुए, उन्होंने सफलता के अवसरों की तलाश की और 13 साल की उम्र में नई दिल्ली चले गए। उन्होंने कहा कि मेवात क्षेत्र में प्रतिभा की कोई कमी नहीं है, लेकिन उचित संसाधनों की कमी के कारण उनकी प्रतिभा सामने नहीं आ रही है। यही बच्चों की प्रतिभा है।