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बड़ी खबर ! राजस्थान, मध्य प्रदेश, गुजरात, और महाराष्ट्र के 49 जिलों को मिलाकर भील प्रदेश बनाने की मांग 

राजस्थान के बांसवाड़ा जिले में स्थित आदिवासियों के प्रमुख तीर्थ स्थल मानगढ़ धाम पर गुरुवार को चार राज्यों—राजस्थान, मध्य प्रदेश, गुजरात, और महाराष्ट्र—के 49 जिलों को मिलाकर भील प्रदेश बनाने की मांग जोर-शोर से उठाई गई। इस महारैली का आयोजन आदिवासी परिवार और 35 अन्य संगठनों द्वारा किया गया, जिसमें हजारों आदिवासी लोग शामिल हुए।
 

Bhil Pradesh; राजस्थान के बांसवाड़ा जिले में स्थित आदिवासियों के प्रमुख तीर्थ स्थल मानगढ़ धाम पर गुरुवार को चार राज्यों—राजस्थान, मध्य प्रदेश, गुजरात, और महाराष्ट्र—के 49 जिलों को मिलाकर भील प्रदेश बनाने की मांग जोर-शोर से उठाई गई। इस महारैली का आयोजन आदिवासी परिवार और 35 अन्य संगठनों द्वारा किया गया, जिसमें हजारों आदिवासी लोग शामिल हुए।

महारैली में प्रमुख मांगें

चार राज्यों के 49 जिलों को मिलाकर भील प्रदेश बनाना
जनजातीय क्षेत्रों में संविधान की पांचवीं अनुसूची लागू करना
जनसंख्या के अनुपात में आदिवासी समाज को आरक्षण देना
बेणेश्वर की 80 प्रतिशत जमीन आदिवासियों के नाम करना
बांसवाड़ा जिले के जगपुरा-भूकिया में सोने की खदानों की नीलामी निरस्त करना

भील प्रदेश के लिए प्रस्तावित जिलों की सूची

भील प्रदेश बनाने की मांग में शामिल जिलों की सूची में प्रमुख रूप से राजस्थान के बांसवाड़ा, डूंगरपुर, बाड़मेर, जालौर, सिरोही, उदयपुर, झालावाड़, राजसमंद, चित्तौड़गढ़, कोटा, बारां, पाली, मध्य प्रदेश के इंदौर, गुना, शिवपुरी, मंदसौर, नीमच, रतलाम, धार, देवास, खंडवा, खरगोन, बुरहानपुर, बड़वानी, आलीराजपुर, महाराष्ट्र के नासिक, ठाणे, जलगांव, धुले, पालघर, नंदुरबार और गुजरात के अरवल्ली, महीसागर, दाहोद, पंचमहल, सूरत, वडोदरा, तापी, नवसारी, छोटा उदेपुर, नर्मदा, साबरकांठा, बनासकांठा, भरूच और वलसाड़ शामिल हैं।

राज्य सरकार का रुख

राजस्थान के आदिवासी कल्याण मंत्री बाबूलाल खराड़ी ने कहा कि राज्य सरकार अलग से भील प्रदेश को लेकर कोई प्रस्ताव केंद्र को नहीं भेजेगी। सरकार सामाजिक समरसता में विश्वास रखती है और आदिवासियों के विकास के लिए 1500 करोड़ रुपये का बजट प्रविधान किया गया है।

राजनीतिक प्रतिक्रिया

कांग्रेस के आदिवासी विधायक गणेश घोघरा ने विधानसभा में भील प्रदेश की मांग उठाई और आदिवासियों के लिए अलग से कोड लागू करने की भी मांग की। बीएपी के विधायक थावरचंद ने भील प्रदेश को अधिकार बताया और भील प्रदेश लिखी टी-शर्ट पहनकर विधानसभा पहुंचे। वहीं, सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्री मदन दिलावर ने आदिवासियों को हिंदू बताने वाले बयान पर माफी मांगी।

सुरक्षा इंतजाम

महारैली के दौरान प्रदेश की सुरक्षा एजेंसियां अलर्ट मोड पर रहीं और कार्यक्रम स्थल के पास इंटरनेट बंद किया गया। वाहनों को मानगढ़ धाम से पांच किलोमीटर पहले ही रोका गया।

भील प्रदेश बनाने की मांग आदिवासी समाज की महत्वपूर्ण मांगों में से एक है, जो चार राज्यों के आदिवासियों की एकता और सामूहिक इच्छाशक्ति को दर्शाती है। यह रैली आदिवासी समाज की सशक्त आवाज और उनकी अधिकारों की दिशा में एक बड़ा कदम है।