हरियाणा के पूर्व आईएएस युद्धवीर सिंह ख्यालिया के भतीजे ने हासिल की यूपीएससी में 46वीं रैंक, ताऊ का सपना किया पूरा
UPSC topper:हरियाणा प्रदेश में शायद ही कोई ऐसा व्यक्ति होगा जो आईएएस युद्धवीर सिंह ख्यालिया को नहीं जानता होगा। युद्धवीर सिंह ख्यालिया अपने जमाने के विख्यात आईएएस अफसर रह चुके हैं। इन्होंने रक्तदान के लिए प्रदेश के युवाओं को जागरूक करने में कोई कसर नहीं छोड़ी थी। उनका सपना था कि उनके बच्चे भी आईएएस अफसर बनकर देश की सेवा करें।
उनके इसी सपने को पूरा करने का काम उनके भतीजे भावेश ख्यालिया ने आज यूपीएससी की परीक्षा में 46वीं रैंक हासिल कर पूरा कर दिया। आपको बता दें कि भावेश ख्यालिया ने अपने दूसरे प्रयास में यूपीएससी में 46वीं रैंक हासिल कर अपने ताऊ युद्धवीर सिंह का सपना पूरा किया है। भावेश ख्यालिया मूल रूप से भिवानी जिले के तोशाम के गांव झांवरी निवासी हैं।
जो वर्तमान में हिसार के पुलिस लाइन एरिया में रहते हैं। भावेश ख्यालिया के ताऊ डॉ. युद्धबीर सिंह ख्यालिया 1983 में एचसीएस बनकर देश की सेवा की शुरुआत की थी। युद्धवीर सिंह खा लिया की मेहनत और उनके काम करने के जज्बे को देखते हुए बाद में सरकार ने उन्हें पदोन्नत कर आईएएस बना दिया।
भावेश के चाचा राजेश ख्यालिया हैं, जो 1999 के बैच में एचसीएस चयनित होकर अपनी सेवाएं दे रहे हैं।
भावेश कर चुके हैं टाटा इंस्टीट्यूट आफ सोशल साइंस से ग्रेजुएशन
भावेश की पढ़ाई की बात करें तो उन्होंने टाटा इंस्टीट्यूट आफ सोशल साइंस (हैदराबाद) से 2020 में ग्रेजुएशन किया था। इनका बचपन से ही यूपीएससी की परीक्षा में अच्छे अंक प्राप्त कर आईएएस बनने का सपना था। इसके लिए उन्होंने दिन-रात मेहनत की और आज यूपीएससी की परीक्षा में 46वीं रैंक हासिल कर अपना सपना पूरा किया।
आपको बता दें कि भावेश ने अपने पहले प्रयास में यूपीएससी की परीक्षा में 280वीं रैंक हासिल की थी।
लेकिन इस बार उन्होंने इस कम करते हुए 46वीं रैंक में तब्दील कर दिया। भावेश ख्यालिया ने कहा कि अगर हम सच्ची लगन और ईमानदारी से मेहनत करते रहते हैं तो एक दिन सफलता अवश्य मिलती है। उन्होंने अपनी इस सफलता का श्रेय माता- पिता के साथ-साथ ताऊ युद्धवीर सिंह ख्यालिया और परिवार के अन्य सदस्यों व दोस्तों को दिया।
उन्होंने कहा कि बच्चों को जीवन में कड़ी मेहनत कर चुनौतियों का सामना करना चाहिए। भावेश ने बताया कि आज मैंने जो सफलता हासिल की है उसमें मेरी पत्नी कीर्ति ख्यालिया के सहयोग की भी अहम भूमिका रही है।