हरियाणा में फिर आया राजनीतिक भूंचाल, कभी भी गिर सकती है नायब सैनी सरकार
INDIAH1 NEWS:हरियाणा प्रदेश के अंदर एक बार फिर राजनीतिक उथल-पुथल देखने को मिल सकता है। प्रदेश में नायब सैनी सरकार पर एक बार फिर संकट के बादल मंडराते हुए नजर आ रहे हैं। आपको बता दें कि हरियाणा प्रदेश में पहले से ही भारतीय जनता पार्टी की सरकार अल्पमत में चल रही है।
वहीं कल बादशाहपुर विधानसभा सीट से निर्दलीय विधायक राकेश दौलताबाद की मृत्यु के बाद नायब सैनी सरकार पर एक बार फिर संकट के बादल मंडराने शुरू हो गए हैं। क्योंकि सरकार को पूर्ण बहुमत हेतु विधायकों की जितनी संख्या चाहिए उसमें कल एक और काम हो गई थी।
पिछले काफी समय से पूर्ण बहुमत न होने के चलते हरियाणा सरकार पर विपक्ष लगातार हमले बोल रहा है। आज जिस निर्दलीय विधायक की मृत्यु हुई है, उन्होंने भाजपा पार्टी को समर्थन दे रखा था। ऐसे में भाजपा पार्टी को समर्थन देने वाले विधायकों में एक संख्या और कम हो गई है।
ज्ञात हो कि दौलताबाद ने 2019 के विधानसभा चुनावो में बादशाहपुर विधानसभा सीट से जीत दर्ज करने के बाद भाजपा सरकार को समर्थन दिया था।
हरियाणा सरकार के पास विधायकों की संख्या रह गई यह मात्र 42
वर्तमान में नायब सैनी सरकार के पास कल बादशाहपुर सीट से दिवंगत विधायक राकेश दौलताबाद की मृत्यु के बाद विधायकों की संख्या घटकर 42 रह गई है। वहीं हरियाणा विधानसभा में मौजूदा वक्त में कुल बहुमत का आंकड़ा पास करने हेतु 44 विधायक होने आवश्यक हैं।
लेकिन नायब सिंह सैनी सरकार के पास राकेश दौलताबाद की मृत्यु के बाद 42 विधायकों का ही समर्थन बचा है। ऐसे में वर्तमान सरकार को पूर्ण बहुमत हेतु दो विधायकों की और आवश्यकता है। लोग यह भी अंदेशा लगा रहे हैं कि हरियाणा में वर्तमान सरकार कभी भी गिर सकती है।
अगर विपक्षी दल सरकार को फ्लोर टेस्ट करवाने के लिए घेरते हैं, तो सरकार पर एक बार फिर मुश्किलों के बादल मंडरा सकते हैं।
ज्ञात हो कि विपक्षी दल पहले ही गवर्नर को लेटर लिखकर नायब सैनी सरकार को बहुमत साबित करने की मांग कर चुकी है। आपको बता दें कि नायब सैनी जब से मुख्यमंत्री बने हैं, तब से हर रोज नई-नई मुसीबतों का सामना कर रहे हैं। अगर राज्यपाल एक बार फिर विपक्षी दलों की मांग को स्वीकार कर लेते हैं, तो वर्तमान सरकार को बहुमत साबित करने हेतु मुश्किलों का सामना करना पड़ सकता है।