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हरियाणा में 11 साल से क्रीमी लेयर के साथ हो रही गड़बड़ी

हरियाणा में 11 साल से क्रीमी लेयर के साथ हो रही गड़बड़ी
 

भारत सरकार ने 08 सितंबर, 1993 को पिछड़े वर्ग के लिए क्रीमी लेयर एक लाख रुपये तय की थी। इसमें वेतन और कृषि आय शामिल नहीं थी। हरियाणा सरकार ने 07 जून, 1995 को इसे यूं का यूं लागू कर दिया। भारत सरकार ने 09 मार्च, 2004 को क्रीमी लेयर सीमा 2.5 लाख रुपये कर दी।

हरियाणा सरकार ने 30 सितंबर, 2004 को इसे यूं का यूं लागू कर दिया। भारत सरकार ने 14 अक्तूबर, 2008 को क्रीमी लेयर सीमा 4.5 लाख रुपये कर दी। हरियाणा सरकार ने 31 अगस्त, 2010 को इसे यूं का यूं लागू कर दिया। भारत सरकार ने 27 मई, 2013 को क्रीमी लेवर सीमा 6.0 लाख रुपये कर दी। हरियाणा सरकार  ने 14 जून, 2016 को इसे लागू किया। मगर 17 अगस्त, 2016 को इसे दो टुकड़ों में बांट दिया। पहले आरक्षण पहले तीन लाख रुपये आय वालों को दिया, फिर बचा आरक्षण अगले तीन लाख रुपये वालों को दिया।

हरियाणा सरकार ने नहीं बढ़ाया क्रीमी लेयर की आय का दायरा 


 भारत सरकार ने 13 सितंबर, 2017 को क्रीमी लेयर 8.0 लाख रुपये कर दी। मगर हरियाणा सरकार ने इसे नहीं बढ़ाया। उलटा, 28 अगस्त, 2018 को छह लाख रुपये क्रीमी लेयर में सभी प्रकार के स्रोतों से प्राप्त आय भी जोड़ दी। इसमें वेतन और कृषि आय भी शामिल कर दी गई जबकि केंद्र सरकार ने वेतन और कृषि आय को बाहर रखा हुआ था।

सुप्रीम कोर्ट ने 24 अगस्त, 2021 को तीन लाख और फिर तीन लाख रुपये की शर्त को रद्द कर दिया। हरियाणा सरकार ने 17 नवंबर, 2021 को 6.0 लाख रुपये क्रीमी लेयर रखी। साथ में छह लाख रुपये की आय सभी स्रोतों से शामिल कर ली गई या एक करोड़ रुपये से ज्यादा की संपत्ति पिछले तीन साल से रखने वाले परिवारों के पुत्र, पुत्रियों को क्रीमी लेयर में शामिल रखा और उन्हें आरक्षण का लाभ नहीं मिल पाया। इसे भी अदालत में चुनौती दी हुई है। अब मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी की घोषणा के बाद इसे बदला जा रहा है।