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हरियाणा में बदले रजिस्ट्री के नियम! पुरानी दर पर होगी जमीनों की रजिस्ट्री, इन जिलों में आया 20% बढ़ोतरी का प्रस्ताव

 

Haryana Property Registry: हरियाणा के मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी ने जमीन को लेकर एक महत्वपूर्ण निर्णय लिया है। CM Saini ने रेवेन्यू विभाग के 10 से 20 प्रतिशत कलेक्टर खर्च बढ़ाने के प्रस्ताव को खारिज कर दिया है। सैनी ने स्पष्ट कर दिया है कि राज्य में जमीन की रजिस्ट्री पुराने कलेक्टर रेट पर ही होगी।

प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर ने अपने कार्यकाल के दौरान कहा था कि जिलों में मार्केट वेल्यू की जांच करनी चाहिए।

उन्हें यह निर्देश भी दिया गया था क्योंकि कई जिलों में जमीनों की मार्केट वेल्यू काफी है, लेकिन कलेक्टर रेट काफी कम है। सरकार को करोड़ों रुपए का राजस्व नुकसान होता है। हालाँकि पूर्व मुख्यमंत्री के आदेश के अनुसार जिलों में कलेक्टर रेट बढ़ाने का प्रस्ताव था, लेकिन मुख्यमंत्री सैनी ने इसे लागू करने से मना कर दिया।

इन जिलों ने 20% बढ़ोतरी का प्रस्ताव दिया

हरियाणा में एनसीआर के तहत आने वाले जिलों से अधिक कलेक्टर रेट बढ़ाने का प्रस्ताव था। इनमें शामिल हैं रोहतक, गुरुग्राम, फरीदाबाद, पलवल, बहादुरगढ़, सोनीपत, करनाल और पानीपत।

यहां के जिला प्रशासन ने कलेक्टर रेट में 20% की बढ़ोतरी का प्रस्ताव भेजा था। माना जाता है कि इसकी वजह यह है कि यह जिले एनसीआर के तहत आते हैं, जहां सूबा सरकार और केंद्र सरकार लगातार इन्फ्रास्ट्रक्चर पर काम कर रहे हैं।

रिवाइज कलेक्टर रेट मार्च के बाद अप्रैल में हरियाणा में लागू होने वाले थे, लेकिन इस बार लोकसभा चुनाव के कारण आचार संहिता लागू थी। इसलिए कलेक्टर रेट लागू नहीं हुए। रिवाइज कलेक्टर रेट के प्रस्ताव जिलों से रेवेन्यू डिपार्टमेंट को भेजे गए जब आचार संहिता हट गई।

जिसकी मंजूरी के लिए फाइल सीएम सैनी को भेजी गई, लेकिन सीएम ने कलेक्टर रेट को बढ़ाने का प्रस्ताव ठुकरा दिया। साथ ही, स्पष्ट निर्देश दिए गए कि सूबे के सभी जिलों में जमीन का अधिग्रहण पुराने दर पर ही किया जाएगा।

जमीन से जुड़े मामलों में कलेक्टर रेट निर्णायक नहीं है

जमीन खरीद फरोख्त में कलेक्टर दर बहुत महत्वपूर्ण है। वैल्यू कमेटी की रिपोर्ट अलग-अलग स्थानों पर परिस्थितियों और मार्केट अध्ययन के बाद जारी की जाती है। इसके बाद रेट बढ़ाने का निर्णय लिया जाता है। राज्य सरकार और राज्य का राजस्व विभाग ही इस पर अंतिम निर्णय लेते हैं।

रेट निर्धारित होने से पहले तक जमीन की रजिस्ट्री या कुछ भी नहीं हो सकता था, क्योंकि इसमें काफी खेल हुआ था। जिस पर कलेक्टर रेट की घोषणा के बाद में काफी हद तक प्रतिबंध लगा दिया गया है।

राज्य सरकार ने इस दर को हर साल निर्धारित किया। यह नीति पूर्व में प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने अधिकारियों से लागू करने को कहा था।