{"vars":{"id": "100198:4399"}}

UP News: यूपी सरकार लाई गजब की योजना ! युवाओं की अब होगी बड़ी मौज, जानें कैसे....

खेती-किसानी में तकनीक का प्रयोग तेजी से बढ़ रहा है, और एग्रीकल्चर ड्रोन ने इस क्षेत्र में नई क्रांति लाई है। केंद्र सरकार भी एग्रीकल्चर ड्रोन के इस्तेमाल को प्रोत्साहित कर रही है, जिससे किसानों को कई महत्वपूर्ण लाभ मिल रहे हैं।
 

UP News: खेती-किसानी में तकनीक का प्रयोग तेजी से बढ़ रहा है, और एग्रीकल्चर ड्रोन ने इस क्षेत्र में नई क्रांति लाई है। केंद्र सरकार भी एग्रीकल्चर ड्रोन के इस्तेमाल को प्रोत्साहित कर रही है, जिससे किसानों को कई महत्वपूर्ण लाभ मिल रहे हैं।

मैनुअल तरीके से एक एकड़ खेत में दवा या उर्वरक के छिड़काव में 3-4 घंटे का समय लगता है, जबकि ड्रोन से यह काम मात्र 20 मिनट में हो जाता है।कम ड्रोन के उपयोग से कम लेबर में अधिक काम हो सकता है, जिससे लेबर की लागत घटती है।

ड्रोन की मदद से सॉइल मैपिंग कर के खेत की मिट्टी की गुणवत्ता और आवश्यक उर्वरकों की जानकारी मिलती है, जिससे उत्पादन की गुणवत्ता में सुधार होता है। ड्रोन ऑपरेटर, सर्वेयर, और मैपिंग विशेषज्ञ की नौकरियों की मांग बढ़ रही है, जिससे नए रोजगार के अवसर पैदा हो रहे हैं।

ड्रोन की मदद से किसान सटीक मात्रा में उर्वरक और दवाइयों का उपयोग कर सकते हैं, जिससे फसलों की गुणवत्ता और उत्पादन दोनों में सुधार होता है।

ड्रोन के उपयोग से लेबर और समय की बचत होती है, जिससे किसानों की कुल उत्पादन लागत में कमी आती है। यह तकनीक छोटे और बड़े, दोनों प्रकार के किसानों के लिए फायदेमंद है।

ड्रोन के जरिए सटीक मात्रा में उर्वरक और कीटनाशक का छिड़काव होता है, जिससे पर्यावरण पर इनका नकारात्मक प्रभाव कम होता है और मिट्टी की सेहत बनी रहती है।

एग्रीकल्चर ड्रोन के बढ़ते उपयोग के साथ ही नए तकनीकी कौशल वाले रोजगारों की मांग भी बढ़ रही है। ड्रोन ऑपरेटर, मैपिंग विशेषज्ञ और डेटा एनालिस्ट जैसी नौकरियों की संख्या में वृद्धि हो रही है।

एग्रीकल्चर ड्रोन खेती में एक नई क्रांति लेकर आया है। यह न केवल किसानों की लागत को कम करता है, बल्कि उन्हें बेहतर उपज और अधिक मुनाफा कमाने का भी अवसर प्रदान करता है। आने वाले समय में, इस तकनीक के विस्तार से भारतीय कृषि क्षेत्र को और भी अधिक लाभ होगा, जिससे किसानों की स्थिति मजबूत होगी और देश की कृषि अर्थव्यवस्था को भी मजबूती मिलेगी।