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विधायक के भांजे को नहीं मिला टेंडर तो, अधिकारी को ही करा दिया सस्पेंड, जानिए हैरान कर देने वाले हरियाणा इस मामले के बारे में 

 

Indiah1, चंडीगढ़। Haryana News:   विधायक के भांजे को टेंडर नहीं मिला तो बीडीपीओ को सस्पेंड करा दिया गया। आपने देखा होगा की जब लोग पावर में आते है तो उनका अंदाज ही बदल जाता है ऐसा ही हैरान कर देने वाला मामला हरियाणा से सामने आ रहा है जहां एक अधिकारी को सचाई से काम करने के लिए काफी दिक्क्तों का सामना करना पड़ रहा है। हालांकि, पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट ने उनके सस्पेंशन को रद कर दिया है।

पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट ने हरियाणा सरकार में सेवारत एक ब्लॉक विकास और पंचायत अधिकारी (बीडीपीओ) के निलंबन पर रोक लगा दी है, जिसने आरोप लगाया था कि स्थानीय भाजपा विधायक के अवैध निर्देशों को मानने से इनकार करने के बाद उन्हें दंडित किया गया था।

अधिकारी, अरुण कुमार ने टेलीफोन पर हुई बातचीत का प्रतिलेखन भी हाईकोर्ट में प्रस्तुत किया था जिसमें विधायक ने उनसे एक विशेष कार्य की निविदाएं रद्द करने के लिए कहा , यदि वह उसके भांजे को आवंटित नहीं की गई। आरोप हरियाणा के महेंद्रगढ़ की अटेली सीट से बीजेपी विधायक सीताराम पर हैं।

हाईकोर्ट ने अगली सुनवाई तक निलंबन पर लगाई रोक

हाईकोर्ट ने अधिकारी को राहत देते हुए कहा कि इस तथ्य को ध्यान में रखते हुए कि चूंकि अब तक कोई अनुशासनात्मक कार्यवाही शुरू नहीं की गई है और ऐसा कुछ भी रिकॉर्ड पर नहीं आया है कि प्रतिवादी याचिकाकर्ता के खिलाफ कोई अनुशासनात्मक कार्यवाही शुरू करने का इरादा रखता है, सुनवाई की अगली तारीख तक निलंबन पर रोक का आदेश जारी रहेगा।

कोर्ट ने यह साफ कर दिया कि अंतरिम आदेश को जारी रखने पर सरकार के जवाब के बाद विचार किया जाएगा। हाईकोर्ट के जस्टिस हरसिमरन सिंह सेठी ने ये आदेश रेवाड़ी निवासी और वर्तमान में विकास और पंचायत विभाग हरियाणा में बीडीपीओ (निलंबित) के रूप में कार्यरत अरुण कुमार द्वारा दायर याचिका पर सुनवाई करते हुए पारित किए हैं।

याचिका में कुमार ने अतिरिक्त मुख्य सचिव, विकास एवं पंचायत विभाग, हरियाणा द्वारा पारित 11 दिसंबर के आदेश को रद्द करने के निर्देश देने की मांग की है, जिसके माध्यम से उन्हें बिना कोई कारण बताए निलंबित कर दिया गया था।

याचिकाकर्ता के अनुसार बीडीपीओ कनीना के पद पर कार्यरत रहते हुए उन्होंने तीन अक्टूबर को सभी 53 ग्राम पंचायतों का समाधान करवाकर ठोस कचरा प्रबंधन के लिए ऑनलाइन टेंडर निकाला था। छह अक्टूबर को टेंडर खोलने के लिए याचिकाकर्ता की ओर से एक कमेटी का गठन किया गया और कमेटी में अकाउंटेंट क्लर्क, पटवारी, स्वच्छ भारत मिशन के समन्वयक और ब्लाक कनीना के ग्राम सचिव और याचिकाकर्ता खुद शामिल थे।

कोर्ट को बताया गया कि स्थानीय विधायक सीताराम ने शुरू में उन पर अपने भांजे , ईश्वर सिंह उर्फ बिल्लू, जो जेबीएन डब्ल्यू इंटरप्राइजेज के मालिक हैं, के पक्ष में ऑफ़लाइन निविदा जारी करने के लिए दबाव डाला था। उपरोक्त कार्य का टेंडर मेसर्स लियो डेटा सॉल्यूशन को आवंटित किया गया था।

बाद में विधायक के भतीजे ने भी कार्य को लेकर शिकायत दर्ज कराई थी। इसके बाद बिना किसी कारण उनका तबादला कनीना से मेवात के नूंह जिले में कर दिया गया। इस पर उन्होंने 20 अक्टूबर को हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया था, जिसके बाद कोर्ट ने उनके ट्रांसफर पर रोक लगा दी थी और उन्हें कनीना में काम करने की इजाजत दे दी थी।हालाकि, अब 11 दिसंबर को उन्हें निलंबित कर दिया गया।

याचिकाकर्ता ने यह भी बताया कि संबंधित निविदा पहले ही रद्द कर दी गई है और मामला स्थानीय अदालत में लंबित है।अपनी याचिका में, याचिकाकर्ता ने तर्क दिया कि विधायक के कुछ अवैध निर्देशों को स्वीकार नहीं करने के लिए उसे बलि का बकरा बनाया जा रहा है और उक्त कारक की घटना को संबंधित अधिकारियों के सामने लाया जा सकता है क्योंकि याचिकाकर्ता के पास आवश्यक सबूत यानी टेलीफोन पर बातचीत का प्रतिलेखन है। याचिका पर सुनवाई के बाद हाई कोर्ट ने निलंबन के आदेश पर रोक लगा कर सरकार को जवाब दायर करने का आदेश दिया है।