सैनी सरकार को हाईकोर्ट का झटका, नौकरियों में सामाजिक-आर्थिक आधार पर आरक्षण असंवैधानिक करार, जानें किन परीक्षाओं पर पड़ेगा असर
Haryana News: पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट ने राज्य सरकार को नोटिस जारी किया है। सर्वोच्च न्यायालय ने फैसला सुनाया है कि सामाजिक-आर्थिक स्थिति के आधार पर सरकारी नौकरियों में आरक्षण असंवैधानिक है।
May 31, 2024, 22:32 IST
Haryana news,चंडीगढ़। पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट ने राज्य सरकार को नोटिस जारी किया है। सर्वोच्च न्यायालय ने फैसला सुनाया है कि सामाजिक-आर्थिक स्थिति के आधार पर सरकारी नौकरियों में आरक्षण असंवैधानिक है। उच्च न्यायालय के इस फैसले ने राज्य में रुकी हुई नियुक्तियों का रास्ता साफ कर दिया है। सरकार ने नौकरियों में सामाजिक और आर्थिक आधार पर पिछले आवेदकों को 5 अंक देने का प्रावधान किया था।
इस प्रावधान को चुनौती देने वाली याचिका के निपटारे के साथ, राज्य में हजारों नियुक्तियों का रास्ता साफ हो गया है।
क्या है सरकार का फैसला?
सरकार के इस फैसले के खिलाफ पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट में याचिका दायर की गई है। इस याचिका में बताया गया है कि राज्य सरकार ने संविधान के खिलाफ जाकर सामाजिक-आर्थिक आधार पर आरक्षण दिया है।इस आरक्षण के तहत, यदि परिवार में कोई सरकारी नौकरी नहीं है और परिवार की आय कम है, तो ऐसे परिवार से आने वाले आवेदक को सामाजिक और आर्थिक आधार पर 5 अतिरिक्त अंकों का लाभ दिया गया था।
उच्च न्यायालय में दायर याचिका में कहा गया था कि संविधान के अनुसार आरक्षण का लाभ सामाजिक और आर्थिक आधार पर नहीं दिया जा सकता है। उच्च न्यायालय ने सामाजिक और आर्थिक आधार पर आरक्षण को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए नियुक्तियों पर रोक लगा दी थी।
उच्च न्यायालय ने मामले में अपना फैसला सुनाते हुए स्पष्ट किया कि सामाजिक-आर्थिक आधार पर आरक्षण प्रदान करने का निर्णय संविधान के खिलाफ है।
उच्च न्यायालय ने याचिका को वापस लेते हुए खारिज कर दिया। याचिका के निपटारे के साथ ही राज्य में हजारों नियुक्तियों का रास्ता साफ हो गया है।
इस प्रावधान को चुनौती देने वाली याचिका के निपटारे के साथ, राज्य में हजारों नियुक्तियों का रास्ता साफ हो गया है।
क्या है सरकार का फैसला?
सरकार के इस फैसले के खिलाफ पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट में याचिका दायर की गई है। इस याचिका में बताया गया है कि राज्य सरकार ने संविधान के खिलाफ जाकर सामाजिक-आर्थिक आधार पर आरक्षण दिया है।इस आरक्षण के तहत, यदि परिवार में कोई सरकारी नौकरी नहीं है और परिवार की आय कम है, तो ऐसे परिवार से आने वाले आवेदक को सामाजिक और आर्थिक आधार पर 5 अतिरिक्त अंकों का लाभ दिया गया था।
उच्च न्यायालय में दायर याचिका में कहा गया था कि संविधान के अनुसार आरक्षण का लाभ सामाजिक और आर्थिक आधार पर नहीं दिया जा सकता है। उच्च न्यायालय ने सामाजिक और आर्थिक आधार पर आरक्षण को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए नियुक्तियों पर रोक लगा दी थी।
उच्च न्यायालय ने मामले में अपना फैसला सुनाते हुए स्पष्ट किया कि सामाजिक-आर्थिक आधार पर आरक्षण प्रदान करने का निर्णय संविधान के खिलाफ है।
उच्च न्यायालय ने याचिका को वापस लेते हुए खारिज कर दिया। याचिका के निपटारे के साथ ही राज्य में हजारों नियुक्तियों का रास्ता साफ हो गया है।