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Success Story :  इस IPS ऑफिसर ने किए है 56 एनकाउंटर, जानें कैसे की UPSC की तैयारी 

UPSC की परीक्षा को पास करना बहुत कठिन है। देश में बहुत कम लोग होते है जो इस परीक्षा को पास करके  IAS या IPS बनते है। आज हम आपको एक ऐसे ही IPS ऑफिसर के बारे में बता रहे है। जिन्होंने अभी तक 56 एनकाउंटर कर चुके है। ये ऑफिसर आज एक एनकाउंटर स्‍पेशलिस्‍ट है। आइये जानते है इनके बारे में विस्तार से 
 

UPSC Success Story of IPS Deepak kumar : देश में बहुत से लोग UPSC की तैयारी करते है। UPSC की परीक्षा को पास करने के लिए दिन-रात कड़ी मेहनत करनी पड़ती है। आज एक ऐसे ही अधिकारी IPS ऑफिसर दीपक कुमार के बारे में बता रहे है।

जिन्होंने बचपन से कई मुसीबतों का समना किया और इस मुकाम को हासिल किया। IPS  दीपक कुमार बिहार के बेगूसराय जिले के रामदिरी गांव के रहने वाले हैं। दीपक कुमार बताते हैं कि वह किसान परिवार से हैं और उनकी 5वीं तक पढ़ाई-लिखाई गांव के स्‍कूल से ही हुई।

दीपक कहते हैं 5वीं के बाद की पढ़ाई के लिए वह नेतरहाट स्‍कूल चले गए, तब झारखंड, बिहार से अलग नहीं हुआ था। ऐसे में वह बिहार में ही आता था। यह एक आवासीय स्‍कूल है। यहां उन्‍होंने 6वीं से 10वीं तक की पढ़ाई की।

इसके बाद वह 12वीं करने पटना साइंस कॉलेज चले गए। पटना साइंस कॉलेज से 12वीं करने के बाद दीपक कुमार ने वराणसी के काशी विद्यापीठ से इकोनॉमिक्‍स से बीए किया। इकोनॉमिक्स में ग्रेजुशन करने के बाद दीपक कुमार दिल्ली चले गए। वहां से उन्‍होंने एलएलबी(LLB) की पढ़ाई की।

दीपक कुमार ने एक इंटरव्यू के दौरान बताया कि जब उन्‍होंने नेतरहाट स्‍कूल में एडमिशन लिया, तो वहां उन्‍हें यूपीएससी(UPSC) के बारे में पता चला। दीपक कहते हैं कि इस स्‍कूल से पढ़कर निकलने वाले तमाम आईएएस(IAS) व आईपीएस(IPS) निकले थे।

इसके अलावा इस स्‍कूल में समय-समय पर सरकारी अफसर आते जाते रहते थे, तो असल पूछिए तो सिविल सर्विसेज में जाने की प्रेरणा यहीं से मिली।

Story of IG Agra range: दीपक कुमार पुराने दिनों को याद करते हुए कहते हैं कि किसान परिवार के पास कोई इतनी आमदनी के साधन, तो होते नहीं और घर वालों की इच्‍छा थी कि उनके बच्‍चे पढ़े लिखे आगे बढ़ें और सरकारी अफसर बनें क्‍योंकि उनके परिवार में कोई सरकारी अफसर नहीं था।

लिहाजा बच्‍चों की पढ़ाई के लिए परिवार के लोगों ने कुछ जमीनें भी बेचीं और हम लोगों को पढ़ाया। दीपक कहते हैं आखिरकार मेहनत और संघर्ष की जीत हुई और परिवार में सरकारी अफसर बनने का सपना पूरा हुआ।

वह कहते हैं कि आईपीएस में सेलेक्‍ट होने की सूचना उन्‍हें अपने दोस्‍तों से मिली, जिसके बाद उन्‍होंने फोन करके घरवालों को सूचित किया। पूरे घर में खुशी का माहौल छा गया। हालांकि दीपक कुमार कहते हैं कि उनकी इच्छा पत्रकार बनकर समाज में सुधार लाने की थी।

encounter specialist Deepak kumar: आईपीएस दीपक कुमार की गिनती एनकाउंटर स्‍पेशलिस्‍ट में हेाती हैं। वह अब तक 56 अपराधियों का एनकाउंटर कर चुके हैं। 2005 में यूपीएससी में सेलेक्‍शन के बाद उनकी सबसे पहली पोस्टिंग 2007 में एसपी गाजियाबाद के तौर पर हुई।

आईपीएस(IPS) दीपक कुमार अयोध्या, लखनऊ, सीतापुर, प्रतापगढ, रायबरेली, प्रयागराज, सोनभद्र, बागपत, मेरठ, गाजियाबाद में एसएसपी रहे हैं। इसी तरह बांदा और अलीगढ़ में डीआइजी और आइजी रह चुके हैं।

दीपक कुमार ने अपने कार्य के दौरान राजस्‍थान के बावरिया पर नकेल कस दी। उन्‍होंने बावरिया गिरोह को पकड़कर डकैती की सिलसिलेवार घटनाओं पर रोक लगा दी। इसके अलावा उन्‍होंने बांग्लादेशी गिरोह का न केवल खुलासा किया बल्कि उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ समेत कई जिलों में उनके नेटवर्क का पर्दाफाश किया।

लखनऊ में तैनाती के दौरान उन्‍होंने मुहर्रम के जुलूस का रूट डाइवर्जन कराया, जिसकी काफी सराहना हुई, क्‍योंकि इस रूट के कारण हर साल घंटों सड़क जाम रहती थी और आए साल कहीं न कहीं छिटपुट हिंसा की घटनाएं सामने आती थीं।