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IAS Succes Story: ये IAS अफसर बने केवल 21 की उम्र में IAS अधिकारी! देखें पूरी लिस्ट
 

This IAS officer became an IAS officer at the age of only 21! See full list
 

UPSC:यूपीएससी परीक्षा देश ही नहीं बल्कि दुनिया की सबसे कठिन परीक्षाओं में से एक है. इसे पास करना इतना आसान नहीं है. कुछ उम्मीदवारों को इसे पास करने में कई साल लग जाते हैं. वहीं, कुछ हर मुश्किल को पार करते हुए अपनी सफलता से नया कीर्तिमान रच देते हैं. 

आईएएस अंसार शेख आईएएस, टीना डाबी आईएएस, सिमी करण आईएएस, सौम्या शर्मा आईएएस और इरा सिंघल आईएएस हर उम्मीदवार के लिए प्रेरणास्रोत हैं. इनमें से कई ने गरीबी, सामाजिक दबाव और बीमारी को मात देकर यह मुकाम हासिल किया है. पढ़िए उनकी प्रेरक कहानियां. यूपीएससी परीक्षा में सफल होने वाले उम्मीदवारों की कहानियां दिलचस्प और प्रेरक (UPSC Exam) हैं. कुछ आईएएस अफसरों ने कम उम्र में यूपीएससी परीक्षा पास कर कीर्तिमान बनाया तो कुछ ने गंभीर बीमारी से जंग लड़कर देश की सबसे बड़ी सरकारी नौकरी (Sarkari Naukri) हासिल की. उनके कठिन सफर और खूबसूरत मंजिल की कहानी किसी को भी प्रेरित करने के लिए काफी है. जानिए कुछ ऐसे ही आईएएस अफसरों की कहानियां, जिनके नाम की चर्चा हर कोई करता है. 

आईएएस अंसार शेख महाराष्ट्र के जालना गांव के रहने वाले हैं. उनके पिता रिक्शा चलाते हैं. अंसार के घर की आर्थिक स्थिति ठीक नहीं थी. उन पर कई बार स्कूल छोड़ने का दबाव बनाया गया. जब उन्होंने 12वीं में 91% अंक हासिल किए तो घरवालों ने दखल देना बंद कर दिया. 

अंसार ने 12 घंटे मेहनत करते हुए यूपीएससी परीक्षा की तैयारी की. साल 2015 में वे 361वीं रैंक के साथ आईएएस अधिकारी बने. तब उनकी उम्र सिर्फ 21 साल थी. टीना डाबी देश की सबसे मशहूर आईएएस अधिकारियों में से एक हैं. उनके परिवार में सभी लोग सरकारी नौकरी करते हैं. 

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक टीना 12वीं में सीबीएसई बोर्ड की टॉपर थीं. उन्होंने राजनीति विज्ञान और इतिहास में 100 में से 100 अंक हासिल किए थे. वे 2015 की यूपीएससी परीक्षा में अपने पहले प्रयास में ही पहली रैंक के साथ ऑल इंडिया टॉपर बनीं (UPSC Topper). 

टीना डाबी अक्सर इंस्टाग्राम और ट्विटर पर ट्रेंड करती रहती हैं ओडिशा की सिमी करण 22 साल की उम्र में आईएएस अधिकारी बन गईं. 12वीं के बाद उन्होंने आईआईटी बॉम्बे में एडमिशन ले लिया. वहां पढ़ाई के दौरान उन्हें झुग्गी-झोपड़ियों में रहने वाले बच्चों को पढ़ाने का मौका मिला। तब उन्हें अहसास हुआ कि उन्हें इंजीनियरिंग करने के बजाय देश की सेवा करनी है। इसी सोच के साथ उन्होंने यूपीएससी परीक्षा की तैयारी शुरू कर दी। 2019 में वह 31वीं रैंक के साथ आईएएस बनीं।