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Folk music of Haryana: ये है हरियाणा के फेसम लोकगीत, जानें इन गानों की विशेषताएं 

देश-विदेश में हरियाणवी गानों को खूब पंसद किया जा रहा है। इन सभी लोक गीतों की कुछ खास विशेषताएं है। हमारा जीवन का हर पक्ष इस लोकगीत में दिखाई देता है। आइये जानते है इन लोकगीतों के बारे में 
 

Folk music of Haryana : हरियाणा के लोकगीतों का हरियाणवी लोक-साहित्य में महत्वपूर्ण स्थान है। इंसान के जीवन का हर पक्ष किसी न किसी रूप में इन लोकगीतों से जुड़ा हुआ है।

हरियाणा में विभिन्न अवसरों पर लोकगीत गाए जाते है। विवाह के लोकगीत सबसे ज्यादा प्रचलित है। विवाह के अवसर पर जहां कन्या-पक्ष सुहाग, बंदड़ी, बन्नी और लाडो का गीत गाते हैं। वहीं, वर-पक्ष घोड़ी, बन्ना, बंदड़ा और लाडा गाते हैं।  

इन राज्यों में लोकप्रिय है हरियाणा के लोकगीत

हरियाणा के लोकगीत उत्तर भारतीय राज्यों में व्यापक रूप से लोकप्रिय हैं। विशेष रूप से हरियाणा, पंजाब, दिल्ली और राजस्थान के कुछ हिस्सों में, क्योंकि तीन राज्य भौगोलिक सीमाओं और उनके भीतर सांस्कृतिक का आदान-प्रदान साझा करते हैं। हरियाणा के लोकगीतों के दो रूप या श्रेणियां हैं।

हरियाणा के लोकगीतों में राष्ट्रपिता का प्रभाव 

हरियाणा के लोक मानस पर राष्ट्रपिता महात्मा गाँधी के प्रभाव की झलक इस प्रदेश के लोकगीतों में पूरी तरह दिखाई देती है। लोकगीतों के माध्यम से इस प्रदेश की नारियों ने पूज्य बापू के प्रति अपनी भावनाएं अभिव्यक्त की हैं।

बच्चों द्वारा गाए जाने वाले लोकगीतों में भले तुकबदियां ही हैं, परंतु इन तुकबंदियों में भी बड़े सीधे सादे सरल ढंग से बापू के विभिन्न कामों की चर्चा की गई है। इन गीतों में महात्मा गांधी के सभी राजनैतिक तथा समाज सुधार संबंधी कार्य क्षेत्रों को प्रतिनिधित्व मिला है।

गांधी जी के जलसे में शामिल होने की महिलाओं की उत्सुकता से नारियों की जागरूकता का संकेत भी मिलता है। हरियाणवी लोकगीतों द्वारा प्रस्तुत किए गए बापू जी की मृत्यु के करुण दृश्य से सभी की आंखें सजल हो उठती हैं।

हरियाणा के लोक संगीत में व्यापक रूप से जोगी, भाट और सांगी को सबसे अधिक पसंद किया जाता है। सारंगी का उपयोग जोगियों द्वारा अपनी धुनों के साथ किया जाता है। अपनी समृद्ध धुनों और गुंजायमान-आकर्षक आवाजों के साथ, वे अल्लाह, जयमल-फट्टा और अन्य वीर गाथा गीतों का प्रदर्शन करने में कुशल होते हैं।

कंट्री साइड म्यूजिक

पुराण-भगत जैसे पौराणिक कहानियां, आनुष्ठानिक गीत, मौसमी गीत, गाथागीत आदि सभी इस श्रेणी में शामिल हैं। इसका संगीत क्रॉस-सांस्कृतिक सामाजिक तालमेल विशेषताओं में कायम है।

इन गीतों में भैरव, पहाड़ी, भैरवी, झिंझोटी, काफी और जय जयवंती, जैसे रागों को शामिल किया जाता है। अहीरों द्वारा गाए जाने वाले कुछ गीतों में राग पीलू शैली का भी प्रयोग किया जाता है।

हरियाणा के लोकगीत के वाद्य यंत्र

हरियाणा के लोक संगीत को एक आवश्यक संगत के रूप में संगीत वाद्य यंत्रों की आवश्यकता होती है। इनमें से अधिकांश उत्तरी भारत में व्यापक हैं। इन्हें मोटे तौर पर तीन समूहों में विभाजित किया जा सकता है- तंतु, पवन और तालवाद्य। इन वाद्य यंत्रों में एकतारा, दोतारा, सारंगी, बीन, बांसुरी, शहनाई और शंख शामिल है।

शास्त्रीय रूप

शास्त्रीय श्रेणी में समूह गीत शामिल है, जो शास्त्रीय शैली में गायन के साथ निकटता से जुड़ा हुआ है। ऐसे गीतों में आमतौर पर पौराणिक महत्व शामिल होते हैं। इस संग्रह में अल्लाह, बरहमास, जैमलफल्ला, तीज गीत, होली और फाग गीत गाये जाते हैं।