Holi Travel : इन 5 फेसम जगहों पर करें होली सेलिब्रेशन, त्योहार बनेगा ओर भी स्पेशल
Place Is Famous For Holi : फागुन का महीना शुरू होते ही होली का इंतजार शुरू हो जाता है। इस साल 25 मार्च को होली का त्योहार मनाया जाना है और इसकी तैयारियां शुरू हो चुकी हैं।
ऐसे में अगर आप इस बार की होली को नए अंदाज में मनाना चाहते हैं और इस दिन नई जगहों को एक्सप्लोर करने की सोच रहे हैं तो उन जगहों पर जाने का प्लान बनाएं, जहां की होली दुनियाभर में फेमस है।
वैसे तो होली देश के लगभग हर कोने में मनाई जाती है लेकिन हर जगह इसे मनाने का अंदाज अलग अलग होता है। तो चलिए बात करते हैं सबसे पहले मथुरा की होली की। श्रीकृष्ण जन्मभूमि यानी मथुरा की होली का अपना अलग अंदाज है। यह अपने पेडे के साथ साथ होली के लिए भी दुनियाभर में मशहूर है।
भगवान कृष्ण की नगरी के नाम से मशहूर वृंदावन की होली भी कमाल की होती है। यहां की फूलों की होली तो काफी स्पेशल है। यहां का मुख्य उत्सव बांके बिहारी मंदिर में मनाया जाता है जो वाकई अनुभव करने वाला महोत्सव है। यहां हर गली हर सड़क पर महीनेभर पहले से ही होली की मौजमस्ती शुरू हो जाती है।
उदयपुर की होली भी पर्यटकों के बीच काफी फेमस है। उदयपुर में मेवाड राज परिवार शाही अंदाज में होलिका दहन कार्यक्रम आयोजित करता है जिसे देखने के लिए खूब भीड़ उमडती है। इसके दूसरे दिन शहर के कई जगहों पर होली की मौजमस्ती रहती है
बरसाना यानी राधा रानी का गांव। बरसाने की होली भी काफी प्रसिद्ध है। यहां की लट्ठमार होली दुनियाभर में जाना जाता है। यह जगह नंदगांव में है जिसे राधा और कृष्ण का निवास स्थान के रूप में जाना जाता है।
यहां भी होली करीब 40 दिनों तक खेला जाता है। इसमें नंदगांव के लोग बरसाना होली खेलने जाते हैं जहां की महिलाएं लट्ठमार होली से उनका स्वागत करती हैं।
पुष्कर होली भी काफी प्रसिद्ध है। यहां हर साल अंतरराष्ट्रीय पुष्कर होली महोत्सव का आयोजन किया जाता है। इसमें देश विदेश के लोग जुटते हैं जहां होली खेलने के साथ साथ रंग बिरंगे कार्यक्रम का आयोजन किया जाता है। रंग बिरंगे ऊंट की सवारी के साथ साथ यहां आप बड़े बड़े आर्टिस्ट का परफॉरमेंस एन्जॉय कर सकते हैं।
मथुरा में होली के दिन घर घर के बच्चे भगवान कृष्ण और राधा के रूप में सजते हैं और लोग द्वारकाधीश मंदिर में जमकर गुलाल खेलते हैं। अगर आप नॉर्थ इंडिया में रहते हैं तो होली के दिन मथुरा एक बार जरूर पहुंचें।
पश्चिम बंगाल के शांतिनिकेतन में होली से एक दिन पहले दोल कार्यक्रम का आयोजन विश्व प्रसिद्ध है। यहां होली को बसंत उत्सव के रूप में मनाया जाता है जिसकी शुरुआत रवीन्द्रनाथ टैगोर ने की थी।
होली के दिन महिलाएं और पुरुष पीले कपड़े पहनते हैं और विश्वभारती परिसर में सांस्कृतिक कार्यक्रमों में हिस्सा लेने पहुंचते हैं। इस दिन रवीन्द्र संगीत और नृत्य के साथ एक लंबा जुलूस निकाला जाता है जिसमें गुलाल से होली खेली जाती है।