अगर आपके घर में बेटी है तो इस योजना का उठाए लाभ मोदी सरकार देगी 4,00000रू जानिए पूरी जानकारी।
बेटियों को आर्थिक और शिक्षित रूप से आगे बढ़ाने के लिए भारत सरकार ने देश के सभी राज्य में कई तरह की योजनाएं चलाई है जिससे हर राज्य की महिलाओं का प्रतिनिधित्व बढ़ाया जा सके और देश को आर्थिक और शैक्षिक रूप से आगे लाया जा सके सरकार की ओर से बेटियों को लेकर एक नई योजना की शुरुआत की गई है जिसका लाभ देश का हर नागरिक ले सकता है जिनके घर में बेटी है।
केंद्र सरकार द्वारा बेटियों को आगे बढ़ाने के लिए एक इस योजनाएं चलाई गई है जो काफी फायदेमंद है जिनका नाम है सुकन्या समृद्धि योजना इस योजना में मां-बाप 10 साल से कम उम्र की बच्चियों का कोई भी बैंक में अकाउंट खुलवा सकते हैं साथ ही पोस्ट ऑफिस के द्वारा भी इस योजना का लाभ मिल सकता है .
सुकन्या समृद्धि योजना में 250 रुपए से भी काम प्रति महीना जमा कर सकते हैं और इस जमा राशि को इस योजना का लाभ ले सकते हैं इसमें सबसे खास बात यह है कि इसमें आपको नॉर्मल से भी ज्यादा ब्याज मिलता है इतना ही नहीं इसमें आप मैच्योरिटी होते हैं तो बैंक की तरफ से आपको एक खास अमाउंट भी दिया जाता है।
सरकार की तरफ से शुरू की गई इस सुकन्या समृद्धि योजना में अकाउंट आपका 21 साल के बाद मैच्योर हो जाता है इसमें आपके बच्चों के पढ़ाई के लिए कुछ पैसा निकाल सकते हैं या फिर शादी के समय पैसा आप निकलवा सकते हैं इस योजना के माध्यम से लड़की का भविष्य बेहतर होगा और इस आत्म निर्भर बनाने में भी आपको सहायता मिलेगी इसी वजह से भारत सरकार की तरफ से इस योजना की शुरुआत देश के अलग-अलग राज्य में की गई है।
इस योजना के लिए आवश्यक दस्तावेज।
बालिका का जन्म प्रमाण पत्र
माता-पिता का आधार कार्ड, पैन कार्ड, पहचान पत्र
बैंक या डाकघर द्वारा मांगे गए दस्तावेज।
निवास प्रमाण पत्र
पासपोर्ट साइज फोटो
इस योजना में आवेदन करने की प्रक्रिया।
इस योजना में आवेदन करने के लिए पोस्ट ऑफिस या फिर बैंक में जाकर फॉर्म भरवा सकते हैं जिनके लिए कुछ क्राइटेरिया निर्धारित की गई है अगर आपके बच्चे की उम्र 10 साल से कम है तो आप इस योजना का लाभ लेने के लिए कोई भी बैंक में खाता खुलवा सकते हैं इस योजना का लाभ ले सकते हैं इस अकाउंट में नॉर्मल ब्याज करके तुलना में ज्यादा ब्याज दर मिलता है जिससे आपका पैसा चाहिए जिससे बढता है इस अकाउंट में ब्याज दर हर वर्ष बदली जाती है जो अभी भी वित्तीय वर्ष के अनुसार होती है इसमें ब्याज दर कम ज्यादा होती रहती है जो अलग-अलग वर्ष में ब्याज दर अलग-अलग मिलता है।