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RBI Monetary Policy : लगातार सातवीं बार भी नहीं हुआ रेपो रेट में कोई बदलाव, गवर्नर शक्तिकांत दास ने दी जानकारी 

हाल ही में केंद्रीय रिजर्व बैंक की मौद्रिक नीति समिति की बैठक के नतीजे आ चुके है। बताया जा रहा है कि रेपो रेट में एक बार फिर से कोई बदलाव नहीं किया गया है। केंद्रीय बैंक के गवर्नर शक्तिकांत दास ने इसकी जानकारी दी है।
 

RBI MPC Meeting :  केंद्रीय रिजर्व बैंक की मौद्रिक नीति समिति की बैठक (RBI MPC Meeting) के नतीजे सामने आ चुके हैं। रिजर्व बैंक ने एक बार फिर रेपो रेट को 6.5% पर बरकरार रखने का फैसला किया है।

केंद्रीय बैंक के गवर्नर शक्तिकांत दास (RBI Governor Shaktikant Das) ने इसकी जानकारी दी है। वित्त वर्ष 2024-25 की पहली एमपीसी बैठक 3 अप्रैल को शुरू हुई थी। यह बैठक ऐसे समय में हुई जब देश में लोकसभा चुनाव का बिगुल बज चुका है।

ऐसे में एनालिस्ट्स पहले ही संभावना जता रहे थे कि इस बार भी ब्याज दरों और RBI के रुख में किसी तरह का बदलाव नहीं होगा। महंगाई दर और इकोनॉमिक गतिविधियों में स्थिरता को देखते हुए रिजर्व बैंक गवर्नर शक्तिकांत की अगुवाई में कमेटी ने ब्‍याज दरें स्थिर रखने का फैसला किया है।

आरबीआई की रुख में बदलाव नहीं होना बताता है कि केंद्रीय बैंक ने अभी भी महंगाई दर को नियंत्रित करने पर अपना ध्‍यान केंद्रीत किया हुआ है।

फरवरी 2023 में आखिरी बढ़ोतरी

केंद्रीय रिजर्व बैंक ने आखिरी बार फरवरी, 2023 में रेपो रेट में बढ़ोतरी की थी। इस बढ़ोतरी के बाद रेपो रेट 6।5 प्रतिशत कर दी गई। इसके बाद लगातार 7 बार केंद्रीय रिजर्व बैंक की मौद्रिक नीति समिति की बैठक हो चुकी है। रेपो रेट के आधार पर बैंक लोन की ब्याज दर पर फैसला लेते हैं।

जीडीपी पर अनुमान

राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय (एनएसओ) ने चालू वित्त वर्ष की पहली और दूसरी तिमाही के लिए सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) के वृद्धि दर के अनुमान को संशोधित कर क्रमशः 8.2 और 8.1 प्रतिशत कर दिया है। पिछले वित्त वर्ष की दिसंबर तिमाही में वृद्धि दर 8.4 प्रतिशत रही थी।

आरबीआई गरर्नर का बयान

रिजर्व बैंक के गवर्नर शक्तिकांत दास ने कहा कि एमपीसी ने वृहद आर्थिक परिस्थितियों की समीक्षा करने के बाद बहुमत से रेपो रेट को स्थिर रखने का फैसला लिया है। एमपीसी के 6 सदस्यों में से 5 ने रेपो रेट में बदलाव नहीं करने का फैसला लिया।

आरबीआई गवर्नर ने कहा कि खुदरा महंगाई भले ही मौजूदा सीरीज में निचले स्तर पर आ गई हो, लेकिन अभी खाने-पीने की चीजों के मामले में महंगाई की स्थिति अनिश्चित बनी हुई है।