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मुंबई में हार्बर लाइन पर बढ़ेगी ट्रेनों की स्पीड, विभाग उठा रहा है ये बड़ा कदम 

 
मुंबई डिविजन के एक बड़े अधिकारी ने बताया कि हार्बर लाइन पर ट्रेनों की औसत स्पीड 80 किमी प्रति घंटा के आसपास है

Indiah1 ,मुंबई: मध्य रेलवे ने हार्बर लाइन पर ट्रेनों की औसत स्पीड बढ़ाने का निर्णय लिया है। ट्रैक के नीचे की गिट्टी बदली जाएगी। कई जगह सिग्नल की केबल्स को बदला जाएगा। ये सभी काम होने के बाद ट्रेनों की औसत स्पीड बढ़ाई जा सकती है।


मध्य रेलवे पर अतिक्रमण की सबसे ज्यादा समस्या हार्बर लाइन पर है। अधिकारी ने बताया कि वडाला, मानखुर्द, चूनाभट्टी और जीटीबी नगर अतिक्रमण से सबसे ज्यादा प्रभावित हैं। ट्रैक के आसपास अस्थाई स्ट्रक्चर बनाए हुए हैं।

मुंबई डिविजन के एक बड़े अधिकारी ने बताया कि हार्बर लाइन पर ट्रेनों की औसत स्पीड 80 किमी प्रति घंटा के आसपास है, इसे 105 किमी प्रति घंटा तक ले जाया जा सकता है। यदि योजना के मुताबिक सभी काम होंगे, तो मार्च, 2024 तक परिणाम दिखने लगेंगे।इस काम की शुरुआत ट्रैक के आसपास मौजूद अस्थाई अतिक्रमण को हटाने से हुई है।


कई बार इन्हें हटाने पर स्थानीय राजनेताओं के विरोध का सामना करना पड़ता है। इन अस्थाई स्ट्रक्चरों में रहने वाले लोग ट्रैक पर ही शंका समाधान करते हैं। इस वजह से ट्रैक के रखरखाव पर ज्यादा ध्यान देना होता है। लोग ट्रैक पर कचरा भी फेंकते हैं। उनके घरों का पानी भी ट्रैक पर ही बहता है। कुल मिलाकर पटरियों को नुकसान होने के कारण यहां औसत गति भी कम हो गई।


चूनाभट्टी से जीटीबी नगर के बीच अतिक्रमण को हटाया


रेलवे ने सोमवार को चूनाभट्टी से जीटीबी नगर के बीच 165 अवैध अतिक्रमण को हटाया गया। इनमें 140 छोटी दुकानें और 25 अस्थाई झोपड़े थे। मध्य रेलवे के अनुसार चूनाभट्टी से जीटीबी नगर के बीच आरपीएफ और अन्य स्टाफ के बड़े बंदोबस्त के बाद कार्रवाई की गई। इन दोनों स्टेशनों के बीच अप लाइन पर बहुत ज्यादा अतिक्रमण था। इन्हें हटने के लिए पहले ही नोटिस दिया जा चुका था।

 

रेलवे द्वारा इंजिनियरिंग वर्क शुरू किया जाएगा


मध्य रेलवे ने बताया कि आने वाले कुछ दिनों तक अतिक्रमण हटाने की कार्रवाई जारी रहेगी। अतिक्रमण हटने के बाद रेलवे द्वारा इंजिनियरिंग वर्क शुरू किया जाएगा। इनमें पटरियों के मजबूतीकरण का काम मुख्य तौर पर होगा। 

तेज गति की लोकल ट्रेनें नहीं चलती

मुंबई में पश्चिम रेलवे, मध्य रेलवे की मेन लाइन और हार्बर लाइन पर मुख्य रूप से सबसे ज्यादा लोकल ट्रेनें चलती हैं। इनमें से केवल हार्बर लाइन ही एक एसा कॉरिडोर है जहां तेज गति की लोकल ट्रेनें नहीं चलती हैं। एेसे में रेलवे यहां स्पीड बढ़ाकर लोगों को राहत देना चाहती है। यहां अतिक्रमण को स्पीड के लिए सबसे बड़ी बाधा बताया गया है लेकिन यह भी एक सचाई है कि रेलवे परिसरों में अतिक्रमण प्रशासन का सबसे बड़ा सिरदर्द बनी है।

हार्बर लाइन पर भी इसी इरादे से रेलवे ने कार्रवाई शुरू की है। एेसे कई प्रॉजेक्ट हैं जो एक-दो दुकान या एक इमारत के कारण 10-15 सालों तक लंबित हो गया क्योंकि परियोजनाओं को बाधित करने वाले ही कोर्ट में चले गए। अब रेलवे किसी भी कीमत पर नहीं चाहती है कि ट्रैक के पास किसी भी तरह का अतिक्रमण बढ़े और भविष्य में कोई परियोजना प्रभावित हों।