{"vars":{"id": "100198:4399"}}

मुंबई, दिल्ली के बिच दौड़ेगी देश की पहली स्लीपर वंदे भारत ट्रैन, जानिए रूटप्लान से लेकर ठहराव तक का पूरा प्लान 

 

मुंबई : देश की पहली स्लीपर वंदे भारत भी मुंबई से दिल्ली के बीच चलाने की संभावना है।दिल्ली-मुंबई रूट पर ट्रेनों की औसत गति फिलहाल 80 से 100 किमी प्रतिघंटा है। ट्रेनों की स्पीड बढ़ाने के लिए ट्रैक को मजबूत करने और दोनों तरफ दीवार बनाने का काम चल रहा है। मिशन से जुड़े इंजिनियरिंग विभाग के एक अधिकारी ने बताया कि दीवार और ट्रैक को मजबूत करने के अलावा ट्रैक जितना सीधा होगा, उतनी ही स्पीड बनी रहेगी।

इस पूरे रूट पर स्पीड से ट्रेनें चलाने के लिए पटरियों के दोनों छोर पर फेंसिंग जरूरी है। योजना का करीब 50 प्रतिशत हिस्सा यानी 792 रूट किमी पश्चिम रेलवे के अधिकार क्षेत्र में है और इस पूरे हिस्से में कैटल फेंसिंग और वॉल फेंसिंग का काम लगभग पूरा हो चुका है।

पांच साल पहले मुंबई से दिल्ली के बीच 160 किमी प्रतिघंटा की रफ्तार से ट्रेन चलाने के लिए 'मिशन रफ्तार' परियोजना की शुरुआत हुई थी। 1,478 रूट किमी और 8 हजार करोड़ रुपये के इस प्रॉजेक्ट के 90 प्रतिशत से ज्यादा काम पूरे हो चुके हैं।  रेलवे के अनुसार, 2024 में मई तक यहां स्पीड ट्रायल किए जा सकते हैं। 

भारतीय रेलवे की 'कवच' तकनीक का इस्तेमाल

दिसंबर, 2024 तक कवच लगाने का काम पूरा होने की उम्मीद है। अब तक वड़ोदरा-अहमदाबाद सेक्शन में 62 किमी, विरार-सूरत पर 40 किमी और वडोदरा-रतलाम-नागदा सेक्शन में 37 किमी पर ट्रायल हो चुका है। ट्रेनों की स्पीड के साथ उनकी सेफ्टी को बढ़ाने के लिए पूरे रूट पर भारतीय रेलवे की 'कवच' तकनीक का इस्तेमाल किया जाएगा।

जिन ट्रेन में कवच लगा हो, उनका आमने-सामने से टकराना असंभव है, क्योंकि टकराने से पहले ट्रेन में ऑटोमैटिक ब्रेक लग जाएंगे। दिसंबर, 2022 में पश्चिम रेलवे पर 735 किमी पर 90 इंजन में कवच लगाने के लिए 3 कॉन्ट्रैक्ट अवॉर्ड हुए थे। इसमें से 142 किमी पर सफल ट्रायल हो चुका है। 
 

 इस परियोजना के पश्चिम रेलवे वाले क्षेत्र में 107 कर्व यानी मोड़ को सीधा किया जा चुका है। शेष 27 कर्व को भी जल्द ही सीधा कर लिया जाएगा। 160 किमी प्रतिघंटा की स्पीड के लिए 60 किलो 90 यूटीएस वाली रेल की जरूरत होती है, जबकि भारतीय रेलवे में ज्यादातर जगहों पर 52 किलो 90 यूटीएस वाली पटरियां लगी हैं। मुंबई-दिल्ली रूट पर परियोजना के मुताबिक पटरियों को बदलने का काम तेजी से चल रहा है। स्पीड बढ़ाने के लिए पटरियों के नीच पत्थर की गिट्टियों का कुशन 250 मिमी से बढ़ाकर 300 मिमी किया जा रहा है।
 

मिशन रफ्तार का काम तेजी से चल रहा है। कुछ काम बचे हैं, जिनके फरवरी, 2024 तक पूरा होने की उम्मीद है। मुंबई से दिल्ली के बीच पूरे रूट पर कवच तकनीक का इस्तेमाल भी होगा। इसके भी सफल ट्रायल हो चुके हैं।

सुमित ठाकुर, मुख्य जनसंपर्क अधिकारी (पश्चिम रेलवे)

स्पीड बढ़ सकती है 200 तक 

ये पूरा काम ट्रैक को मजबूत करके ही होगा।  हालांकि, इस प्रॉजेक्ट के लिए ट्रेनों की औसत रफ्तार 160 किमी प्रति घंटा करनी है, लेकिन बताया जा रहा है कि रफ्तार को 200 प्रति घंटा तक बढ़ाया जा सकता है। रेलवे के अधिकारी के अनुसार ट्रैक को मजबूत करके रफ्तार तो बढ़ सकती है, लेकिन जब गति 200 किमी प्रतिघंटा पहुंचानी हो, तो ब्रिज, सिग्नल, ओवरहेड वायर आदि पर भी काम करना होगा। इस प्रॉजेक्ट में फिलहाल ट्रैक की क्षमता बढ़ाई जा रही है।
 

आंकड़ों में प्रॉजेक्ट

कॉरिडोर: मुंबई से दिल्ली
मंजूर: साल 2017-18
कुल लंबाई: 1478 किलोमीटर
लागत: ₹8,095 करोड़ रुपये