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प्रदेश के कामचोर अध्यापकों  की खैर नहीं, शिक्षा मंत्री खुद करेंगी प्रतिदिन दो सरकारी स्कूलों का दौरा

प्रदेश के कामचोर अध्यापकों  की खैर नहीं, शिक्षा मंत्री खुद करेंगी प्रतिदिन दो सरकारी स्कूलों का दौरा
 

हरियाणा प्रदेश के कामचोर अध्यापकों की अब सहमत आने वाली है। प्रदेश में शिक्षा व्यवस्था में सुधार हेतु हरियाणा प्रदेश की शिक्षा मंत्री सीमा तिरखा प्रतिदिन अब दो सरकारी विद्यालयों में विकसित करेंगी। शिक्षा मंत्री स्कूलों में हो रहे विकास कार्यों का जायजा लेने के साथ-साथ अध्यापकों द्वारा बच्चों को करवाई जाने वाली पढ़ाई का विश्लेषण भी करेंगी।

शिक्षा मंत्री ने कहा कि अधिकारी विद्यार्थियों और अध्यापकों की समस्याओं का त्वरित निदान करें। इसके लिए प्रत्येक जिले का अलग से नोडल अधिकारी नियुक्त किया जाए। हरियाणा की शिक्षा मंत्री सीमा त्रिखां ने पंचकूला स्थित शिक्षा सदन में प्राथमिक एवं माध्यमिक स्कूल शिक्षा विभाग के उच्च अधिकारियों की बैठक की अध्यक्षता के दौरान यह बातें कहीं।

इस अवसर पर स्कूल शिक्षा विभाग की अतिरिक्त मुख्य सचिव जी. अनुपमा, प्राथमिक स्कूल शिक्षा विभाग के महानिदेशक आरएस ढिल्लो, माध्यमिक शिक्षा विभांग के निदेशक जितेंद्र कुमार के अलावा अन्य वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित रहे। शिक्षा मंत्री ने प्राथमिक एवं माध्यमिक स्कूल शिक्षा विभाग की बैठक को बुस्टर-मीटिंग की संज्ञा देते हुए कहा कि उन्हें उम्मीद है कि बैठक के बाद विभागीय कार्यों में तेजी आएगी। जहां अच्छा कार्य करने वालों को पुरस्कृत किया जाएगा। वहीं सुस्ती दिखाने वालों की खिंचाई की जाएगी।

शिक्षा मंत्री खुद करेंगी प्रतिदिन दो सरकारी स्कूलों का दौरा

शिक्षा मंत्री सीमा तिरखा ने बताया कि वे जुलाई से खुद प्रत्येक दिन दो सरकारी स्कूलों का दौरा भी करेंगी। जिस स्कूल का भवन, कमी नए बनकर तैयार हो गए हैं। उनका जल्द ही उद्घाटन करने की योजना बनाई जाएगी। जरूरत के अनुसार नए भवनों का शिलान्यास करके कार्य को जल्द से जल्द अंजाम तक पहुंचाया जाएगा। सीमा त्रिखा ने विभाग द्वारा प्रकाशित की जा रही शिक्षा सारथी पत्रिका का प्रसार बढ़ाने के निर्देश देते हुए कहा कि इसमें
विद्यार्थियों की उपलब्धि और केंद्र एवं प्रदेश सरकार की कल्याणकारी योजनाओं का समावेश होना चाहिए।

वहीं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के ख्यातिप्राप्त कार्यक्रम मन की बात की भी प्रमुख बातों को उचित स्थान दिया जाए। शिक्षा मंत्री ने इस बात पर जोर दिया कि शिक्षा सारथी पत्रिका को केवल स्कूल की लाइब्रेरी तक सीमित न रखा जाए बल्कि गांव के पंच से लेकर प्रदेश के मुख्यमंत्री तक पहुंचनी सुनिश्चित की जानी चाहिए।