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Haryana news: हरियाणा में बीजेपी को बड़ा झटका, इस चर्चित चेहरे ने छोड़ी पार्टी 

Haryana में एक बड़ा पंजाबी चेहरा रहे हैं। वह पहले भी चुनाव लड़ चुके हैं और अपने प्रतिद्वंद्वियों को कड़ी टक्कर दे चुके हैं। 2014 में मनोज वाधवा ने इनेलो की ओर से पूर्व मुख्यमंत्री मनोहर लाल के खिलाफ चुनाव लड़ा था।
 
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Haryana News: भाजपा नेता मनोज वाधवा ने पार्टी से इस्तीफा दे दिया है। मनोज वाधवा एक मजबूत पंजाबी चेहरा हैं। 2019 के महापौर चुनाव में, मनोज वाधवा की पत्नी आशा वाधवा ने एक स्वतंत्र उम्मीदवार के रूप में चुनाव लड़ा, जिसमें उन्हें लगभग 60,000 वोट मिले।

भाजपा की रेणू बाला गुप्ता ने इस सीट पर 8,000 मतों के अंतर से जीत हासिल की। इतना ही नहीं, महापौर चुनाव में मनोज वाधवा को सभी दलों का समर्थन प्राप्त था। इनेलो में डिप्टी मेयर के रूप में भी काम कर चुके मनोज वाधवा ने पूर्व मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर के खिलाफ इनेलो से चुनाव लड़ा था। महापौर चुनाव हारने के बाद, वह अक्टूबर 2019 में पूर्व मुख्यमंत्री मनोहर लाल के नेतृत्व में भाजपा में शामिल हो गए।

2019 में पूर्व सीएम मनोहर लाल की अगुआई मे भाजपा में शामिल होते मनोज वधवा की फाइल फोटो।

मनोज वाधवा ने अपने पत्ते नहीं खोले हैं कि वह किस पार्टी में शामिल होंगे। चर्चा यह है कि अगर वह कांग्रेस का हाथ पकड़ते हैं और कांग्रेस उन्हें उपचुनाव में उम्मीदवार बनाकर सीएम नायब सिंह सैनी के सामने रखती है, तो नायब सैनी के लिए एक बड़ी चुनौती पैदा हो सकती है। हालांकि मनोज वाधवा की ओर से यह अभी तक स्पष्ट नहीं है कि वह किस पार्टी में जाएंगे, उन्होंने दैनिक भास्कर के साथ बातचीत में कहा है कि वह पहले अपने भाईचारे से बात करेंगे और इस बात पर विचार करेंगे कि उन्हें किस पार्टी में जाना चाहिए।

कौन है मनोज?

मनोज वाधवा महापौर चुनाव में एक बड़ा पंजाबी चेहरा रहे हैं। वह पहले भी चुनाव लड़ चुके हैं और अपने प्रतिद्वंद्वियों को कड़ी टक्कर दे चुके हैं। 2014 में मनोज वाधवा ने इनेलो की ओर से पूर्व मुख्यमंत्री मनोहर लाल के खिलाफ चुनाव लड़ा था।

इतना ही नहीं, 2018 में मनोज वाधवा ने अपनी पत्नी आशा वाधवा को महापौर पद का उम्मीदवार बनाया था। इससे पहले वे उप महापौर थे। इससे पहले यह कयास लगाए जा रहे थे कि मनोज वाधवा भाजपा में रहते हुए महापौर चुनाव की तैयारी कर रहे थे। लेकिन अब अचानक पार्टी छोड़ने के बाद उन्होंने करनाल की राजनीति में हलचल मचा दी है।

ईडी की छापेमारी 4 जनवरी को हुई थी।

4 जनवरी को ईडी ने भाजपा नेता और करनाल में महापौर पद के प्रबल दावेदार मनोज वाधवा के घर पर छापा मारा था। ईडी की छापेमारी के दौरान न तो कोई घर में घुस सका और न ही घर का कोई सदस्य बाहर आ सका।

घर के अंदर दस्तावेजों और रिकॉर्ड और अन्य स्थानों की तलाशी ली गई और वाधवा से भी पूछताछ की गई। मनोज वाधवा एक खनन व्यवसायी भी हैं और यमुनानगर में एक खनिक के रूप में काम करते हैं। हालांकि, अधिकारियों द्वारा कोई जानकारी नहीं दी गई।

कांग्रेस में शामिल होने की चर्चा

कयास लगाए जा रहे हैं कि मनोज वाधवा कांग्रेस में शामिल हो सकते हैं। करनाल उपचुनाव में मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी के खिलाफ कांग्रेस मनोज वाधवा को मैदान में उतार सकती है।

मनोज वाधवा हमेशा लोगों की नब्ज समझने में माहिर रहे हैं और महापौर चुनावों का एक बड़ा चेहरा भी रहे हैं। अगर मनोज वाधवा उपचुनाव में सीएम नायब सैनी के खिलाफ उम्मीदवार के रूप में खड़े होते हैं, तो नायब सैनी के लिए कहीं न कहीं समस्या हो सकती है।
सीएम नायब सैनी के साथ मनोज वाधवा की फाइल फोटो।
टिकट चाहने वालों को भी निराशा हुई

भाजपा छोड़ने के बाद भाजपा को झटका लगा है, लेकिन कांग्रेस में टिकट के इच्छुक उम्मीदवारों की चिंता भी बढ़ गई है, क्योंकि सुमिता सिंह, त्रिलोचन सिंह, अशोक खुराना, सुशील गुप्ता, भीमसेन मेहता विधानसभा उपचुनाव में टिकट की दौड़ में थे। अगर मनोज वाधवा ने भाजपा छोड़ दी है, तो वह एक बड़े नेता के कहने पर चले गए हैं। ऐसे में अगर कांग्रेस में वाधवा का प्रवेश होता है तो टिकट के उम्मीदवार ही उम्मीदवार के रूप में रहेंगे।

फिलहाल अभी भी चर्चा चल रही है और और अटकलें लगाई जा रही हैं कि मनोज वाधवा कब अपने पत्ते खोलेंगे और किस पार्टी में जाएंगे। उसके बाद समीकरण सटीक होगा। लेकिन यह कहा जा सकता है कि करनाल में पंजाबी समाज के लगभग 66 हजार वोट हैं और सैनी समाज के केवल 5800 वोट हैं। मनोज वाधवा की पंजाबी समाज में मजबूत पकड़ है। पंजाबी समाज में कहीं न कहीं मनोहर लाल के खिलाफ आक्रोश दिखाई देता है। तख्तापलट में पंजाबी समाज का मौन वोट भी अपनी भूमिका निभाएगा।


जल्द होगा फैसला

भाजपा की प्राथमिक सदस्यता से इस्तीफा देने के बाद जब दैनिक भास्कर ने उनसे बात की तो उन्होंने कहा कि उन्होंने अपने व्यक्तिगत कारणों से पार्टी से इस्तीफा दे दिया है। कांग्रेस पार्टी में शामिल होने की बातचीत के बारे में पूछे जाने पर उन्होंने कहा कि उन्होंने अभी तक इस बारे में नहीं सोचा है कि वह किस पार्टी में जाएंगे। वह अपने समर्थकों से बात करने के बाद ही किसी पार्टी में शामिल होने का निर्णय लेंगे।

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