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Haryana News: किसान संगठनों का सैनी सरकार को 15 अगस्त तक का अल्टीमेटम, ये मांगें नहीं मानी तो उठा सकते हैए बड़ा कदम 

सरकार को 20 जुलाई तक बैठक आयोजित करने का अल्टीमेटम दिया गया था। इस संबंध में शनिवार को एक बैठक हुई थी। दोपहर 12 बजे शुरू हुई बैठक शाम 6 बजे तक चली। गौरतलब है कि बैठक में शंभू सीमा को खोलने और दिल्ली की ओर कूच करने के बारे में कोई चर्चा नहीं हुई, लेकिन मुख्य रूप से हरियाणा के किसानों की मांगों पर चर्चा की गई। 
 
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Haryana News: किसानों के आंदोलन और दिल्ली मार्च की चर्चा के बीच हरियाणा सरकार और संयुक्त किसान मोर्चा (एसकेएम) कुछ मांगों पर एक समझौते पर पहुंच गए हैं। कई अन्य मांगों को भी पूरा किया गया है। अब किसानों ने अपनी मांगों को पूरा करने के लिए 15 अगस्त तक का अल्टीमेटम दिया है। अगर इस अवधि में मांगें पूरी नहीं होती हैं तो किसान अगली रणनीति बनाएंगे। किसानों की मांगों पर अंतिम निर्णय मुख्यमंत्री नायब सैनी द्वारा लिया जाएगा। मुख्यमंत्री किसानों के साथ बैठक भी करेंगे।

एसकेएम ने 14 जुलाई को रोहतक में एक बैठक की थी और किसानों की मांगों को लेकर आंदोलन की घोषणा की थी। इसके बाद सरकार को 20 जुलाई तक बैठक आयोजित करने का अल्टीमेटम दिया गया था। इस संबंध में शनिवार को एक बैठक हुई थी। दोपहर 12 बजे शुरू हुई बैठक शाम 6 बजे तक चली। गौरतलब है कि बैठक में शंभू सीमा को खोलने और दिल्ली की ओर कूच करने के बारे में कोई चर्चा नहीं हुई, लेकिन मुख्य रूप से हरियाणा के किसानों की मांगों पर चर्चा की गई। किसानों और अधिकारियों ने एक के बाद एक मांगों पर अपनी दलीलें दीं। बैठक में लंबित बिजली कनेक्शन, कर्ज माफी, एमएसपी सहित कई मुद्दों पर चर्चा की गई।

मुआवजे की बैठक में सबसे महत्वपूर्ण मुद्दा फसल के नुकसान के लिए मुआवजा नहीं मिलना था। किसान संगठनों ने एक स्वर में कहा कि पिछले तीन वर्षों से मुआवजा लंबित है। इसमें रोहतक, झज्जर, हिसार, फतेहाबाद, भिवानी, सिरसा, कैथल और दादरी जिलों के हजारों किसान शामिल हैं। सरकार ने इस पर सहमति व्यक्त की और किसानों को जल्द ही राशि जारी करने का आश्वासन दिया।

बीमा कंपनियों का दूसरा प्रमुख मुद्दा बीमा कंपनी के बाहर एक प्राधिकरण बनाना था। किसानों ने इसका विरोध किया और मांग की कि सरकार अपना अधिकार बनाए और इससे फसलों का बीमा कराए, क्योंकि मौजूदा बीमा कंपनियां लाभ के लिए काम कर रही हैं, न कि किसान के लिए। हरियाणा सरकार ने इस मुद्दे को हल करने का आश्वासन दिया है।

बाजार में फसल बिकते ही किसानों को भुगतान कर दिया जाएगा।
किसान संगठनों ने मांग की कि जैसे ही किसान की फसल बाजार में बेची जाए, उसे 72 घंटे के भीतर राशि मिलनी चाहिए। लेकिन जब तक फसल को बाजार से नहीं उठाया जाता, तब तक राशि किसान को नहीं दी जाती। इस प्रणाली को बदला जाना चाहिए और देरी होने पर ब्याज भी दिया जाना चाहिए। सरकार ने इस पर सहमति दे दी है।

हरियाणा के सभी किसान संगठनों ने किसानों के आंदोलन के दौरान किसानों को दिल्ली की ओर कूच करने की अनुमति नहीं देने के लिए पांच पुलिस अधिकारियों को पुरस्कृत करने की केंद्र की सिफारिश की निंदा की। सभी ने एक स्वर में कहा कि अगर ऐसा किया गया तो सभी किसान इसका विरोध करेंगे। क्योंकि किसान आंदोलन के दौरान किसानों पर लाठियां और गोलियां चलाई गईं, अगर ऐसे लाठीचार्ज करने वालों को सम्मानित किया जाने लगा तो सरकार खुद हिंसा को प्रोत्साहित कर रही है, किसान इसे बर्दाश्त नहीं करेंगे।
ये रहे बैठक में मौजूद
बलबीर सिंह (किसान सभा हरियाणा), रतन मान (भाकियू-टिकैत), जोगेंद्र नैन (भाकियू-नैन), कंवरजीत सिंह (भाकियू-एकता उगराहा), अजय भवन, सुखदेव जम्मू (हरियाणा किसान सभा), विकास सीसर (भारतीय किसान संघर्ष समिति), हरजिंद्र सिंह (राष्ट्रीय किसान मंच), सुखविंद्र औलख (क्रांतिकारी किसान यूनियन), सुरेश कौथ (भारतीय किसान मजदूर यूनियन-कौथ), मांगे राम, रणबीर मलिक (बीकेयू), प्रेम गहलावत (किसान महासभा), जयकर्ण मांडोठी (एआईकेकेएमएस)

किसानों और हरियाणा सरकार के अधिकारियों के बीच बैठक सकारात्मक माहौल में हुई है। इसमें करीब 32 मांगों पर चर्चा की गई। किसानों ने सरकार को मांगों का ज्ञापन दे दिया है। हम टकराव नहीं, बल्कि बातचीत से मांगों का समाधान चाहते हैं। सरकार को 15 अगस्त तक समय दिया गया है, अगर इस अवधि में मांगें पूरी नहीं की गई तो फिर आंदोलन की रणनीति तैयार की जाएगी। - रतन मान, प्रदेशाध्यक्ष भाकियू, (टिकैत गुट