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Haryana News: तीन नए कानूनो के अनुरूप तैयार हुई हरियाणा पुलिस की CCTNS प्रणाली, जाने कौन से किये गए बदलाव 

हरियाणा पुलिस की सी. सी. टी. एन. एस. प्रणाली तीन नए कानूनों में किए गए बदलावों के अनुसार पूरी तरह से तैयार है।
 
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Haryana News: हरियाणा पुलिस की सी. सी. टी. एन. एस. प्रणाली तीन नए कानूनों में किए गए बदलावों के अनुसार पूरी तरह से तैयार है। हरियाणा में 1 जुलाई 2024 से लागू होने वाले नए कानूनों को ध्यान में रखते हुए सी. सी. टी. एन. एस. प्रणाली के तकनीकी पहलुओं में आवश्यक बदलाव किए गए हैं ताकि इन्हें प्रभावी ढंग से लागू किया जा सके। पुलिस महानिदेशक शत्रुघ्न कपूर की अध्यक्षता में आज यहां हुई बैठक में यह जानकारी दी गई।
 
 इस बैठक में सी. सी. टी. एन. एस. प्रणाली पर विस्तार से चर्चा की गई। बैठक के दौरान, राज्य अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो के निदेशक, ओ. पी. सिंह ने बताया कि नए कानूनों के साथ सीसीटीएनएस प्रणाली को एकीकृत करके एक प्रणाली तैयार की गई है ताकि यह भविष्य में नए कानूनों के अनुसार प्रभावी ढंग से काम कर सके।
इसी कड़ी में हरियाणा पुलिस द्वारा साक्ष्य प्रबंधन प्रणाली भी तैयार की गई है जिसके तहत अब अनुसंधान अधिकारियों द्वारा ऑनलाइन माध्यम से मुकदमे से संबंधित वीडियोज, पीड़ित तथा आरोपियों के बयान, सील किए गए सामान की वीडियो, जांच रिपोर्ट तथा सर्च एंड सीजर आदि संबंधी वीडियोज इलेक्ट्रॉनिक माध्यम से सर्वर पर अपलोड की जा सकेंगी। 1 जुलाई 2024 से लागू होने वाले इन तीन नए कानूनो में भी इसका उल्लेख करते हुए इसे अनिवार्य किया गया है।

पीएस (पुलिस स्टेशन) लोकेटर की सुविधा भी होगी उपलब्ध:
 एससीआरबी की पुलिस अधीक्षक निकिता गहलोत ने बताया कि आमजन की सुविधा के लिए पीएस लोकेटर की सुविधा भी शुरू की जा रही है।आमजन हरियाणा पुलिस के सीसीटीएनएस अथवा हर समय पोर्टल पर उपलब्ध ऑनलाइन माध्यम से दी जाने वाले सुविधाओं व सेवाओं का लाभ लेने के लिए अपने पुलिस थाने का आसानी से पता लगा सकेंगे। इससे लोगों को यह जानने में आसानी होगी कि मामला कौन से पुलिस थाने से संबंधित है।

एफआईआर सहित अन्य कार्य के लिए वॉइस टू टेक्स्ट सुविधा: हरियाणा पुलिस द्वारा अब अनुसंधान अधिकारियों की सुविधा को ध्यान में रखते हुए एक ऐसी व्यवस्था विकसित की गई है जिसमें अनुसंधान अधिकारी को अब अपने रोजमर्रा के काम जैसे केस डायरी ,एफआईआर तथा बयान दर्ज करने आदि की कॉपी को टाइप नहीं करना पड़ेगा और अब उन्हें वॉइस टू टेक्स्ट की सुविधा होगी। अब अनुसंधान अधिकारी बोलकर भी जरूरी दस्तावेजों को टाइप कर सकेंगे। इससे उनकी कार्य क्षमता बढ़ेगी और उन्हें काम के दौरान बड़े पैमाने पर लाभ होगा।