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Pension Scheme: हरियाणा में अब इन रिटायर कर्मियों को नहीं मिलेगा 20 साल की सेवा पर अधिकतम पेंशन का लाभ, जानिए वजह

Haryana News: 2006 के बाद रिटायर होने वाले कर्मियों को 28 साल की सेवा पूरी होने पर अधिकतम पेंशन का लाभ दिया गया था। 2006 से पहले रिटायर होने वाले कर्मियों ने 28 साल की सेवा पर अधिकतम पेंशन की मांग की थी जिसे हाईकोर्ट ने खारिज कर दिया है।
 
हरियाणा में अब इन रिटायर कर्मियों को नहीं मिलेगा 20 साल की सेवा पर अधिकतम पेंशन का लाभ

Haryana News: तीन प्रकार के पेंशनभोगी उच्च न्यायालय के समक्ष आए थे और विभिन्न लाभों का दावा किया था। पहला 2006 से पहले सेवानिवृत्त हुआ, तीसरा 1 जनवरी 2006 के बाद और 2009 से पहले सेवानिवृत्त हुआ और तीसरा 2014 से पहले सेवानिवृत्त हुआ। हरियाणा सरकार ने सेवा और पेंशन नियम, 2009 पेश किया था, जिसके तहत 33 साल की सेवा पूरी करने पर 2006 से पहले सेवानिवृत्त होने वाले कर्मचारियों को अधिकतम पेंशन का लाभ दिया गया था।

जबकि 2006 के बाद रिटायर होने वाले कर्मियों को 28 साल की सेवा पूरी होने पर अधिकतम पेंशन का लाभ दिया गया था। 2006 से पहले रिटायर होने वाले कर्मियों ने 28 साल की सेवा पर अधिकतम पेंशन की मांग की थी जिसे हाईकोर्ट ने खारिज कर दिया है।

दो दशकों से चल रहे इस विवाद का हुआ निपटारा

हरियाणा में 2014 से पहले रिटायर कर्मियों को 20 साल की सेवा पर अधिकतम पेंशन का लाभ नहीं मिलेगा। पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट की पूर्ण पीठ ने यह फैसला सुनाते हुए पेंशन से जुड़े दो दशकों से चल रहे इस विवाद का निपटारा कर दिया है।

साथ ही कहा कि अदालतों को वित्तीय पहलुओं से संबंधित निर्णय में हस्तक्षेप करने से बचना चाहिए, क्योंकि यह कार्यपालिका के विशेष अधिकार क्षेत्र में आता है। कोर्ट से इस फैसले से हरियाणा के हजारों कर्मचारी प्रभावित होंगे।

नियम के तहत 28 साल की सेवा पूरी होने पर अधिकतम पेंशन का लाभ 

2006 के बाद रिटायर हुए लेकिन 17 अप्रैल 2009 से पहले रिटायर हुए कर्मियों ने बताया कि सरकार ने उन्हें 28 साल की सेवा पर अधिकतम पेंशन का लाभ नहीं दिया क्योंकि वह नोटिफिकेशन जारी होने से पहले रिटायर हो गए थे। हाईकोर्ट ने इन्हें लाभ का पात्र माना और इन्हें सेवा नियम के तहत 28 साल की सेवा पूरी होने पर अधिकतम पेंशन का लाभ जारी करने का आदेश दिया है।

नए नियम के अनुसार पेंशनरों को इस लाभ से किया वंचित

इसके बाद हरियाणा सरकार ने 25 अगस्त 2014 को नियमों में संशोधन किया और 20 साल की सेवा पूरी होने पर अधिकतम पेंशन का लाभ जारी करने का निर्णय लिया। इस नियम को केवल सेवा में मौजूद लोगों पर लागू किया गया, पेंशनरों को इस लाभ से वंचित कर दिया गया। 2014 से पहले रिटायर हुए कर्मियों ने इसे भेदभाव बताते हुए चुनौती दी थी। हाईकोर्ट ने कहा कि कर्मियों व पेंशनरों को वित्तीय लाभ तय करने का राज्य सरकार के पास अधिकार है।

न्यायालयों को राज्य के वित्तीय पहलुओं से संबंधित निर्णय में हस्तक्षेप करने से बचना चाहिए, क्योंकि यह कार्यपालिका के विशेष अधिकार क्षेत्र में आएगा। ऐसे में हाईकोर्ट ने 2014 से पहले रिटायर सभी पेंशनर्स को 20 साल की सेवा के लिए अधिकतम पेंशन के लाभ के लिए अयोग्य करार दे दिया है।

खंडपीठ ने स्थिति स्पष्ट करने के लिए भेजा था फुल बेंच के समक्ष

तीन प्रकार के पेंशनभोगियों के मुद्दे पर कानूनी स्थिति स्पष्ट नहीं हो पा रही थी। इसके चलते हाईकोर्ट की खंडपीठ ने यह मामला बड़ी बेंच को रेफर कर दिया था। 2015 में फुल बेंच ने इस मामले की सुनवाई की थी और 9 साल बाद कर्मियों की पेंशन को लेकर अहम फैसला सुनाया है। हाईकोर्ट की फुल बेंच में जस्टिस जीएस संधावालिया, जस्टिस एचएस सेठी व जस्टिस लपिता बनर्जी शामिल थे।