Haryana News: हरियाणा के पांच जिलों में स्कूल बंद...यहाँ समझिये पूरा मामला
Haryana News: महेंद्रगढ़ के कनीना में स्कूल बस दुर्घटना के बाद राज्य सरकार ने बच्चों की जिंदगी से खिलवाड़ करने वाले स्कूलों के खिलाफ सख्त कार्रवाई शुरू कर दी है।
सोमवार को राज्य में 1429 स्कूल बसों की जांच की गई। इनमें से 613 बसों का चालान किया गया और 119 बसों को जब्त किया गया। एक लाख रुपये का जुर्माना।
उस पर 3.57 लाख रुपये का जुर्माना लगाया गया था। दूसरी ओर, फेडरेशन ऑफ प्राइवेट स्कूल एसोसिएशन ने कनीना दुर्घटना के लिए सरकार को दोषी ठहराया है। उन्होंने यह भी चेतावनी दी कि अगर इस तरह की अनुचित सख्ती जारी रही तो वह स्कूल बसों की चाबियां सरकार को सौंप देंगे। इस बीच, पांच जिलों कैथल, सोनीपत, झज्जर, सिरसा और फतेहाबाद के निजी स्कूलों ने स्कूल बसों के चालान के विरोध में कक्षा 1 से 12 तक के स्कूलों को बंद करने की घोषणा की है।
कनीना दुर्घटना के बाद फेडरेशन ऑफ प्राइवेट स्कूल्स एसोसिएशन के पदाधिकारियों ने सोमवार को पहली बार मीडिया से मुलाकात की। स्कूल बस चालक संघ के अध्यक्ष कुलभूषण शर्मा ने कहा कि स्कूल बस चालक शराब के नशे में गाड़ी चला रहे थे। गुस्से में उन्होंने यह भी कहा कि सरकार राज्य में शराब की दुकानों को बंद क्यों नहीं करती है।
गुजरात मॉडल को यहां भी लागू किया जाना चाहिए। मृतक बच्चों के परिवारों को वित्तीय सहायता के सवाल पर शर्मा ने बोलना बंद कर दिया। उन्होंने कहा, "उनके संगठन के पास ऐसा कोई कोष नहीं है, लेकिन हमारी सहानुभूति परिवार के साथ है। वह मीडिया के इस सुझाव को एसोसिएशन की बैठक में रखेंगे। इसके बाद ही वित्तीय सहायता पर निर्णय लिया जा सकता है।
शर्मा ने कहा कि उन्हें चेकिंग अभियान से एतराज नहीं है, लेकिन चेकिंग के तरीके पर आपत्ति है। शाम पांच बजे स्कूल बसों को उठाया जा रहा है, जब स्कूल में न संचालक होता है और न कर्मचारी। साथ ही चहेतों के स्कूलों को छोड़ा जा रहा है। अंबाला में ऐसा हुआ। वहीं, मुख्य सचिव ने वीसी में निजी स्कूल संचालकों के बारे में अपशब्द कहे। उनके साथ आतंकियों सा व्यवहार किया जा रहा है। एक सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि बच्चों की मौत के जिम्मेदार चालक और स्कूल के साथ जिला प्रशासन भी है, क्योंकि प्रशासन को ही बसों की जांच करनी थी।
पिछली सरकारें तो तेल देती थीं, ये तो तेल भी नहीं देते
कुलभूषण शर्मा ने आरोप लगाया कि 14 अप्रैल को फरीदाबाद में सरकार की रैली थी, इसमें निजी स्कूलों की 430 बसें गई थीं। शर्मा ने ये भी आरोप लगाया कि आरटीए और राजनीतिक लोग दबाव बनाकर स्कूलों की बसें लेते हैं। अगर बसें नहीं दी जातीं तो उन पर कार्रवाई की जाती है। उन्होंने कहा कि पहले की सरकारें बसें लेकर तेल देती थीं, लेकिन ये सरकार तो तेल भी नहीं देती। इसके अलावा रैली में जाने वाली बसों में लोग तोड़फोड़ तक कर देते हैं।
सरकार पर जड़े ये आरोप
- आरटीई, चिराग और 134-ए के 600 करोड़ रुपये सरकार ने नहीं दिए
- स्कूलों को लेकर कोठारी कमीशन की रिपोर्ट लागू नहीं की
- विद्यार्थियों से सरकार पैसेंसर टैक्स लेती है, पहले फ्री कराया, भाजपा सरकार ने फिर लगाया
- स्कूल वाहन नीति में निजी स्कूल संचालकों और अभिभावकों को भी शामिल किया जाना चाहिए।
- सरकार ने स्कूल वाहन नीति के मानक कभी व्यवहारिक नहीं बनाए, सड़कें टूटी हैं
- बसों में पहले से फिट मिलें कैमरा, स्पीड गर्वनर और एल्कोमीटर