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Corn Farming : बिल्कुल कम लागत में करें इस चीज की खेती, फिर हो जाओगे मालामाल

अगर आप भी खेती में डबल मुनाफा करना चाहते है तो ये खबर आपके लिए है। आज हम आपको मक्के की खेती के बारे में बताने जा रहै है। जिसे आप बिल्कुल कम खर्चें पर शुरू करके हर महीने तगड़ा मुनाफा कमा सकते है। आइये जानते है डिटेल में
 
बिल्कुल कम लागत में करें इस चीज की खेती

Corn Farming : मक्का की खेती वैसे तो वर्षा ऋतु में ही उपयुक्त रहती है पर किसान अब हर सीजन में मक्के की पैदावार ले रहे हैं। जिसके चलते जहां मक्के की खेती का रकबा तो बढ़ ही रहा, साथ ही किसानों की आर्थिक स्थिति में भी सुधार हो रहा है।

बढ़ती खपत और मांग को देखते हुए पिछले कुछ सालों से किसान अधिक उत्पादन लेने के लिए देशी मक्के की जगह हाइब्रिड बीज का उपयोग कर रहे हैं। जिससे कम समय में उन्हें अधिक उत्पादन तो मिल ही रहा है।

दूसरी फसल लेने में भी कोई दिक्कत भी नहीं हो रही है। इस खेती में किसान रासायनिक के साथ ही जैविक खाद का उपयोग कर अच्छा मुनाफा कमा रहे हैं।

जिले के एक किसान ने मक्के की खेती से तकदीर बदली है। आज इस खेती से उन्हें लागत के हिसाब से अच्छा मुनाफा हो रहा है। जिसके लिए वह कई वर्षों से मक्के की खेती करके लाखों रुपए मुनाफा कमा रहे हैं।

एक किसान ने एक बीघे से मक्के की खेती की शुरुआत की। जिसमें उन्हें अच्छा मुनाफा देखने को मिला। आज वह करीब 3 बीघे में मक्के की खेती कर रहे हैं। इस खेती से वह करीब दो से तीन लाख रुपए एक फसल में मुनाफा कमा रहे हैं।

कम लागत में कमाएं बंपर मुनाफा

मक्के की खेती करने वाले किसान ने बताया कि करीब दो वर्ष पहले मक्के की खेती की शुरुआत की। जिसमे हमें अच्छा फायदा हो रहा है। इस समय करीब हम तीन बीघे में मक्के की खेती कर रहे हैं।

जिसमें लागत करीब 5 से 6 हजार रुपये एक बीघे में आती है। क्योंकि इस खेती में सिर्फ  बीज व जुताई का खर्च आता है। इसमें खाद्य, कीटनाशक दवाइयां का छिड़काव बहुत कम करना पड़ता है।

मुनाफा करीब एक फसल पर दो से तीन लाख रुपए तक हो जाता है। क्योंकि इस समय बाजार का रेट अच्छा है। इससे हमारा जो भुट्टा है करीब 30 से 35 रुपए किलो में जा रहा है।

इस तकनीक से मक्का फसल उगाएं 

इसकी खेती करना बहुत ही आसान है। पहले खेत की जुताई की जाती है। उसके बाद खेत में  बेड बनाए जाते हैं, फिर उसमें एक एक मीटर की दूरी पर मक्के के बीजों की बुवाई की जाती है।

वहीं जब पौधा निकालने के बाद पेड़ थोड़ा बड़ा हो जाता है, तब इसकी सिंचाई करते हैं और खाद कीटनाशक दवाइयों  का छिड़काव करते हैं। जिससे पेड़ जल्दी तैयार हो जाता है। फिर फसल आना शुरू हो जाती है, जो महज 3 से 4 महीने की होती है। इसे हर दिन तोड़कर बाजारों में बेचा जा सकता है।