संविदा कर्मचारियों के नियमितीकरण पर हाईकोर्ट का बड़ा फैसला
Contract Employees News: हाईकोर्ट के इस फैसले से संविदा कर्मचारियों में खुशी की लहर है। लंबे समय से अपने भविष्य को लेकर अनिश्चितता झेल रहे इन कर्मचारियों को अब एक स्थायी नौकरी की उम्मीद है। यह फैसला उनके संघर्ष और धैर्य का परिणाम है, जो उन्होंने वर्षों से सरकार और न्यायपालिका के समक्ष रखा है।
उत्तराखंड के संविदा कर्मचारियों के लिए एक अच्छी खबर आई। हाईकोर्ट ने नरेंद्र सिंह बिष्ट और चार अन्य की विशेष अनुमति याचिकाओं पर सुनवाई के बाद 2013 में नियमितीकरण नियम पारित किए। इस फैसले के बाद शासन स्तर पर नियमितीकरण की प्रक्रिया तेज कर दी गई, जिससे 15 हजार से अधिक संविदा कर्मचारियों को स्थाई नौकरी मिलने की आशा ने जोर पकड़ा है।
नियमितीकरण की प्रक्रिया
कट-ऑफ डेट: 2024 की कट-ऑफ डेट मानते हुए 10 साल नियमित सेवा वाले संविदा कर्मचारियों को पदों की उपलब्धता के हिसाब से नियमित किया जाएगा।
सेवा काल: वर्ष 2013 से पहले तक संविदा कर्मचारियों के नियमितीकरण का कोई प्रावधान नहीं था। 2013 की विनियमितीकरण नियमावली में 10 साल की सेवा को आधार बनाकर नियमित करने का प्रावधान किया गया था।
विवाद और रोक: 2017 में आई नई नियमितीकरण नियमावली में सेवाकाल को 10 साल से घटाकर पांच साल कर दिया गया था। हालांकि, इस पर भी आपत्तियां उठीं और हाईकोर्ट ने इसे रोक दिया।
वर्तमान स्थिति: हाईकोर्ट के हालिया फैसले के बाद, कार्मिक और वित्त विभाग नियमितीकरण के सभी पहलुओं को बारीकी से देख रहा है। रिक्त पदों के लिए वरिष्ठता सूची तैयार की जा सकती है और पद रिक्त होने पर संविदा, उपनल या अन्य माध्यमों से कार्य कर रहे कर्मचारियों को मौका मिल सकता है।
उत्तराखंड के संविदा कर्मचारियों के नियमितीकरण की दिशा में हाईकोर्ट का यह फैसला एक महत्वपूर्ण कदम है। यह न केवल कर्मचारियों के लिए राहत लेकर आया है, बल्कि यह भी साबित करता है कि संघर्ष और धैर्य से हर मुश्किल का समाधान संभव है। अब देखना यह है कि शासन इस प्रक्रिया को कितनी तेजी और प्रभावी ढंग से आगे बढ़ाता है, ताकि इन कर्मचारियों को उनका हक मिल सके।