भारत ने मैन्यूफैक्चरिंग गतिविधियों में बढ़ाए मजबूत कदम आगे,अप्रैल में 58.8 रहा मैन्यूफैक्चरिंग पीएमआइ
भारत देश मैन्युफैक्चरिंग में मजबूती के साथ आगे बढ़ रहा है। अकेले अप्रैल महीने की ही बात करें तो अप्रैल में अप्रैल में 58.8 मैन्यूफैक्चरिंग पीएमआइ के साथ पिछले साढ़े तीन वर्षों में दूसरा सबसे अच्छा महीना रहा।
देश में पिछले महीने मैन्यूफैक्चरर्स को घरेलू और बाहरी ग्राहकों से भी मजबूत मांग मिली थी।
इसके साथ-साथ अप्रैल महीने में कारोबारियों की भी नए निर्यात आर्डर में उल्लेखनीय वृद्धि रही है।
आपको बता दें कि भारत में अप्रैल महीने में मैन्युफैक्चरिंग परिचालन स्थितियों में साढ़े तीन साल में दूसरा सबसे तेज सुधार दर्ज किया गया, जिसे बढ़ती मांग का समर्थन मिला। मौसमी रूप से समायोजित ‘एचएसबीसी इंडिया विनिर्माण क्रय प्रबंधक सूचकांक’ (पीएमआइ) अप्रैल में घटकर 58.8 हो गया, जो मार्च में 59.1 था।
पीएमआइ के तहत 50 से ऊपर सूचकांक होने का मतलब उत्पादन गतिविधियों में विस्तार है जबकि 50 से नीचे का आंकड़ा गिरावट को दर्शाता है।
एचएसबीसी के मुख्य भारत अर्थशास्त्री प्रांजुल भंडारी ने कहा कि मजबूत मांग की स्थिति के कारण उत्पादन में और वृद्धि हुई, हालांकि मार्च की तुलना में यह वृद्धि थोड़ी धीमी रही। रिपोर्ट में कहा गया कि भारतीय मैन्यूफैक्चरर्स ने अप्रैल में घरेलू और बाहरी ग्राहकों से अपने माल की मजबूत मांग की सूचना दी। कुल नए ठेके में तेजी से वृद्धि हुई है और विस्तार की गति 2021 की शुरुआत के बाद से दूसरी सबसे मजबूत रही।
इसके अलावा, अप्रैल में नए निर्यात आर्डर में उल्लेखनीय वृद्धि हुई। यद्यपि कुल बिक्री की तुलना में यह वृद्धि धीमी रही, जिससे पता चलता है कि घरेलू बाजार वृद्धि का मुख्य चालक बना रहा। भंडारी ने कहा, ‘कीमत की बात करें तो कच्चे माल और श्रम की उच्च लागत के कारण कच्चे माल की लागत में मामूली वृद्धि हुई है, लेकिन मुद्रास्फीति ऐतिहासिक औसत से नीचे बनी हुई है।’
उन्होंने कहा कि कंपनियों ने उत्पादन शुल्क बढ़ाकर इस वृद्धि का बोझ उपभोक्ताओं पर डाल दिया, क्योंकि मांग मजबूत बनी रही जिसके परिणामस्वरूप मुनाफे में सुधार हुआ।