हरियाणा के इस जिले में बनेगा 800 मेगावाट का पावर प्लांट, केंद्र से मिली अनुमती, प्रदेश को ऐसे पहुंचेगा फायदा
Haryana News : केंद्र सरकार ने हरियाणा को पावर प्लांट झारखंड के बजाय अब यमुनानगर में हो लगाने की अनुमति दे दी है। इसके लिए टैंडर की प्रक्रिया अक्टूबर के अंत में शुरू होगी। दिवाली तक टैंडर हो जाएंगे। पावर प्लांट का काम साढ़े चार साल में पूरा होगा। इसके निर्माण के बाद साल 2028 तक हरियाणा को 800 मेगावाट बिजली मिलने लगेगी।
पिछले दिनों बैठक में हरियाणा के बिजली निगमों के चेयरमैन पीके दास ने केंद्र के साथ बैठक की थी। उन्होंने मजबूती के साथ अपना पक्ष रखा। इसमें मांग की गई कि पावर प्लांट को यमुनानगर में ही बनाया जाना चाहिए। इससे हरियाणा को लाभ होगा। अगर प्लांट को झारखंड में लगाया जाता है तो हरियाणा पर हर साल 4,398 करोड़ रुपए का अतिरिक्त भार पड़ेगा। लोगों को बिजली भी महंगी पड़ेगी। इस संबंध में केंद्र के ऊर्जा सचिव ने हरियाणा से पूरी डिटेल मांगी थी।
यमुनानगर में अभी 600 मेगावाट का प्लांट चल रहा है। नए प्लांट के बनने से जिले में 1400 मेगावाट बिजली बनने लगेगी। अभी हिसार के खेदड़ में 1200, पानीपत में 710 मेगावाट बिजली बनती है। इन पावर प्लांटों में 100 फीसदी शेयर हरियाणा का है। वहीं, झज्जर में 1500-1500 मेगावाट के दो प्लांट है। वहां से भी हरियाणा को बिजली मिलती है।
इस वजह से हरियाणा में बनेगा
झारखंड में प्लॉट लगा तो हरियाणा तक लाइन खींचनी पड़ेगी। ट्रांसमिशन का चार्ज अदा करना होगा। यानी 100 यूनिट बिजली उत्पादन होता है तो हरियाणा तक 97 यूनिट आएगी। तीन यूनिट का खर्च देना होगा। जब दूसरे राज्य अपने यहां दूसरे राज्य के लिए बिजली बनाते हैं तो 5 से 10% तक फ्री बिजली मांगते हैं। हरियाणा से 5% भी मांगी गई तो कुल 8% का ट्रांसमिशन खर्च वहन करना होगा। रेलवे का किराया मिलाकर करीब 4500 करोड़ रुपए
सालाना खर्च आएगा। यही नहीं, जहां पावर प्लांट लगाते हैं तो इक्विटी शेयर भी 100 में से 30 होता है। कई राज्यो में पावर जनरेशन का साढ़े 15% तक मांगते हैं, यानी इसमें, 398 करोड़ रुपए खर्च आएगा। इतना ही नहीं, हरियाणा को पावर प्लांट के लिए जमीन खरीदनी पड़ेगी। हरियाणा में अपनी जमीन है, इसलिए सिर्फ प्लांट लगाने पर खर्च आएगा। बिजली निगमों के चेयरमैन पीके दास ने बताया कि यह पावर प्लांट अब यमुनानगर में ही लगाया जाएगा।
संयंत्र के लिए 1300 एकड़ भूमि अधिगृहित
संयंत्र के लिए 1300 एकड़ भूमि अधिगृहित की गई है। इस पर 2014 से काम चल रहा है। जहां यूनिट स्थापित होंगी, वह 200x200 मीटर की जगह है। बिजली निर्माण में जो पानी की खपत होगी, उसके लिए टोहाना के बलियावाला हेड से 43 किमी. नहर बन रही है। 10 किमी. का काम हो चुका है। पूरे प्रोजेक्ट पर 50 हजार करोड़ रुपए खर्च आएगा।